आज़मगढ़ 07 अप्रैल 2017 -- जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि कृषि फसलों की कटाई हेतु मजदूरों की सीमित उपलब्धता, आधुनिक कृषि यन्त्रों के माध्यम से समय से श्रम की बचत के दृष्टिगत कृषकों द्वारा कटाई एवं मड़ाई हेतु आधुनिक कृषि यन्त्रों विशेष कर कम्बाइन हार्वेस्टर को तेजी के साथ अपनाया जा रहा हैै। जिसके प्रयोग से जहां श्रम एवं समय बचत हो रही है वही धान एवं गेहूँ जैसी फसलें जिनके अवशेष को पशुओं के चारें के रूप में प्रयोग किया जाता है, में कमी हो रही है। इसका मुख्य कारण फसलों की कटाई लगभग एक फुट छोड़ कर की जाती है। खेतों में बचे इन फसल अवशेषों को सामान्यतः कृषकों द्वारा जला दिया जाता है, जिससे धरती का तापमान बढ़ रहा है तथा पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। चारे के कमी के साथ साथ लाभदायक जीव जन्तुओं के नष्ट होने से मृदा उर्वरता भी प्रभावित हो रही है। उन्होने बताया कि कतिपय स्थानों पर भयानक घटनाएं भी घट जाती है। उन्होने कहा कि फसल अवशिष्टों को जलाने वालें दोषी व्यक्तियों को माननीय राष्ट्रीय हरित अभिकरण के आदेश के क्रम में पर्यावरणीय क्षतिपूर्ति के लिए अर्थ दण्ड के रूप में जिसमें कृषि भूमि का क्षेत्रफल दो एकड़ से कम होने की दशा में रू0 2500/-, 2 से 5 एकड़ तक की दशा में रू0 5000/- तथा 5 एकड़ से अधिक होने की दशा में रू0 15000/- प्रति घटना देना होगा। उन्होने बताया कि कम्बाइन मशीनों के साथ साथ रीपर के प्रयोग की अनिवार्यता सुनिश्चित करते हुए कम्बाइन मालिकों का दायित्व निर्धारित कराते हुए आवश्यक कार्यवाही सुनिश्चित की जायेगी।
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