लखनऊ. : बसपा को समर्थन की घोषणा के बाद उलेमा कौंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने सपा कांग्रेस गठबंधन पर खुल कर हमला किया। उन्होंने कहा कि जो अपने पिता का नहीं हुआ वह किसी और का क्या होगा। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य उत्तर प्रदेश को सांप्रदायिक ताकतों, फिरकापरस्त ताकतों से बचाना है। साथ ही हम परिवारवाद के जहर से भी इस प्रदेश को बचाना चाहते हैं। हम यूपी में 84 सीटों पर लड़ रहे थे, लेकिन हमें लगा कि मुस्लिम, शोषित और वंचित वोटों को बिखरने से रोकना होगा। मौलाना ने कहा कि 1992 में भी प्रदेश में दंगे नहीं हुए, लेकिन इस सरकार में दंगों की बाढ़ आ गयी। मुलायम सिंह यादव खुद कह चुके हैं कि मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुसलमान विरोधी हैं, जो अपने पिता का ना हुआ वो किसी और का क्या होगा। रशादी ने इमरान प्रतापगढ़ी के शेर का जिक्र करते हुए कहा कि वह सज संवर कर सैफई हो गए हम बिखर कर मुजफ्फरनगर हो गए। बता दें कि 2008 में अस्तित्व में आई उलेमा काउंसिल ने 2009 लोकसभा चुनाव में पहली बार उत्तर प्रदेश की पांच सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे और ढाई लाख वोट पाए थे। 2012 के विधानसभा चुनावों में काउंसिल ने सौ प्रत्याशी उतारकर छह लाख से अधिक वोट पाने में सफलता पाई थी। पूर्वाचल में इस पार्टी के पास अच्छे खासे समर्थक हैं । गत चुनाव में इस पार्टी के उम्मीदवारों का कई सीटों पर भाजपा और कांग्रेस के उम्मीदवारों से अधिक वोट मिले थे। खासतौर पर पूर्वांचल में उलेमा कौंसिल हार जीत में अहम भूमिका निभाने की ताकत रखती है। इस गठबंधन को यूपी की सियासत में बड़े बदलाव के रूप में देखा जा रहा है।
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