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इस आज़मगढ़िया की कलम के दम पर अखिलेश का "काम बोलता है"

आजमगढ़ : चुनावी रण में उतरे उत्तर प्रदेश के सीएम अखिलेश यादव का नया नारा ‘काम बोलता है’ हर तरफ छाया हुआ है. अखिलेश की हर चुनावी सभा में यह गाना जोर शोर से बज रहा है. इस नारे के जरिए अखिलेश दिखाना चाहते हैं कि वो विपक्ष के गुंडाराज और जातिवाद की राजनीति के आरोपों से ऊपर उठ कर बात करते हैं.
दिलचस्प बात यह है की अखिलेश यादव का यह ‘काम बोलता है’ वाला नारा अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव के संसदीय क्षेत्र आजमगढ़ के रहने वाले लेखक मनोज यादव की कलम से निकला है। मनोज यादव ने ही अपने गानों और जिंगल्स के जरिए अखिलेश के विकासवादी पुरुष की छवि गढ़ी है। आजमगढ़ जनपद के अजमतगढ़ क्षेत्र के भरौली गांव निवासी मनोज यादव मुम्बई में स्थापित एक प्रोफेशनल राइटर हैं। यही अखिलेश के लिए चुनावी अभियान के गाने और नारे लिख रहे हैं। मनोज के पिता महाराष्ट्र में रेमोंडस में मेनेजर रहे है माता जी गृहणी हैं। मनोज दो भाइयों में बड़े हैं। उनकी प्रारम्भिक शिक्षा जीयनपुर क्षेत्र में ही सम्पन्न हुई है। बाद में वह परिवार के साथ मुम्बई और थाणे में रहे। वैसे जबरदस्त चर्चा में मनोज उस समय आ गए थे जब 2011 में क्रिकेट वर्ल्ड कप का सुपरहिट गाना "दे घुमा के" "जियो खिलाडी वाहे वाहे" उन्होंने तैयार किया था। अब समाजवादी पार्टी के वर्तमान कैंपेन को लेकर मनोज फिर सुर्ख़ियों में हैं। वैसे प्रतिभावान मनोज अभी तक 100 से ज्यादा विज्ञापन जिंगल्स और फ़िल्मी गीत लिख चुके हैं। मनोज स्वयं को आजमगढ़ का बताते हुए फक्र महसूस करते हैं और बताते हैं की गर्मियों की छुटिटयों में आजमगढ़ स्थित गांव में क्रिकेट खेलने के दौरान होती शोरबाजी से ही उन्हें "दे घूमां के .... " लिखने की प्रेरणा मिली थी। मनोज जब भी मौका पाते हैं जिले का चक्कर लगाना नहीं भूलते।
वॉर रूम में बैठकर अखिलेश की छवि गढ़ने वाले मनोज यादव का अखिलेश के साथ सफर तीन साल पहले शुरू हुआ था. बात साल 2014 के लोकसभा चुनाव के ठीक की है मनोज मुंबई में थे। उन्होंने वहां से दो लाइन का एक नारा लिख कर भेजा। नारा लोकसभा चुनाव में मुलायम के लिए था "मन से हैं मुलायम , इरादे है लोहा " पहली नजर में यह अखिलेश यादव को जंच गया, उन्होंने फौरन मनोज को मुंबई से लखनऊ बुला लिया तब से अखिलेश मनोज की कलम के कायल हैं। पिछले वर्ष चीनी मिल के उद्घाटन के अवसर पर अखिलेश ने मनोज को मुलायम सिंह यादव से मिलवाते हुए बताया की इन्होंने ही लिखा है "मन से मुलायम..... " , इस पर मुलायम ने कहा अच्छा लिखते हो , और लिखो , आगे बढ़ोगे " . 

लोकसभा चुनाव बीता इसके बाद विधानसभा चुनाव का मौसम आया तो फिर अखिलेश को मनोज याद आए। जब मनोज को अखिलेश की छवि चमकाने का जिम्मा मिला. काम कैसे करना है इस पर खूब चर्चा हुई, सिर्फ अखिलेश के काम पर बात हुई तो मनोज ने ‘काम बोलता है’ लिख दिया।
मनोज बताते के मुताबिक अखिलेश खुद एक एक लाइन देखते हैं, उसमें बदलाव भी करवाते हैं. अगर उनके लिए कुछ ज्यादा लिख दिया गया तो हटवा भी देते हैं. अखिलेश को महान बताने वाली लाइने अखिलेश को पसंद नहीं हैं, हर जगह से उन्हें हटवा देते हैं। मनोज बताते हैं कि अखिलेश के भीतर भी एक कलाकार छिपा है.
वह अखिलेश यादव को पॉलिटिशियन के बजाय "पोलाइटिशियन " बताते हैं।
मनोज को अखिलेश का काम पसंद आया लेकिन क्या आपको पता है इन्हें अपना काम किस हद तक पसंद था. एक बार की बात है, मनोज जब छोटे थे तब इतिहास की क्लास में कविता लिख रहे थे।  टीचर ने कॉपी लेकर फाड़ दी थी तब गुस्से में उन्होंने किताब ब्लैकबोर्ड पर फेंक कर रोते हुए कहा था कि मुझे इतिहास नहीं, कविता पसंद है। फिल्म दुनिया में ऊंचा मुकाम हासिल कर चुके अज़मगढ़िया मनोज अब यूपी में सियासत का इतिहास बदलने के लिए लिख रहे हैं।  मनोज पिछले छह सालों में 100 से ज्यादा गाने और जिंगल लिख चुके हैं। मनोज को दूसरी पार्टियों से भी प्रचार के लिए गाने लिखने के ऑफर आए लेकिन उन्होंने अखिलेश का ही दामन थाम रखा है। 

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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