आजमगढ़। नगर के गुरूघाट स्थित श्रीराम जानकी मंदिर में नगर के विद्वानों , साहित्यकारों, वरिष्ठजनों द्वारा संत शिरोमणि दुर्बासा महामण्डलेश्वर श्री श्री 1008 श्री रामलाल दास जी महाराज मौनी बाबा को भाव भीनी श्रद्धांजलि दी गयी। अपने अध्यक्षीय सम्बोधन में प्रख्यात साहित्यकार प्रो. प्रभुनाथ सिंह मयंक ने कहा कि कर्मयोगी, चमत्कारी सिद्धियों के स्वामी , लोकोपकारी, महातपस्वी अयोध्या के निर्मल आश्रम, आजमगढ़ स्थित दुर्वासा धाम, कल्होरा, गहजी, बरनपुरा सहित दर्जनों आश्रमों एवं संत भुवालदास व बाबा मुसईदस के सान्निध्य में तपस्यारत रहकर लोक मंगल का महान कार्य किया और आजमगढ़ की ऋषि परम्परा में एक दिव्य अध्याय जोड़ दिया। उनके महाप्रयाण से आजमगढ़ वासियों के जीवन में सूर्यास्त हो गया है। बालव्यास पं. कौशल किशोर चतुर्वेदी ने संत महिमा का बखान करते हुए कहा कि मौनी बाबा त्याग की साक्षात प्रतिमूर्ति थे । माँ शारदा स्नाकोत्तर महाविद्यालय के प्रबन्धक फौजदार सिंह ने कहा कि दुर्वासा धाम पर मौनी बाबा के चितास्थल पर उनके नाम से घाट और मौनी बाबा की समाधि स्थल के लिए विद्यालय परिवार ने संकल्प लिया है। श्रद्धांजलि सभा का संचालन पं. सुभाष चन्द्र तिवारी कुन्दन ने किया। इस मौके पर डॉ. मातबर मिश्र, सुनील राय, अभिषेक जायसवाल दीनू, पं. चन्द्रमा पाण्डेय, बालव्यास पं. कौशल किशोर चतुर्वेदी, राम सिंह, महेन्द्र सिंह, प्रभु नारायण पाण्डेय प्रेमी, टीपी मिश्रा, बृजेन्द्र पाण्डेय, तारकेश्वर मिश्र , जयशंकर मिश्र, राममिलन सिंह, विश्वदेश्व उपाध्याय, अखिलेश उपाध्याय, संजय पाण्डेय, सत्यम गुरू, देवेन्द्र दूबे, प्रशान्त त्रिपाठी, कृपाशंकर पाण्डेय, ललित मोहन उपाध्याय, सुनील सिंह, सुभाष शास्त्री सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
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