आजमगढ़। आजमगढ़ पुस्तक मेले के चौथे दिन शुक्रवार को 'कहानी से चित्र और चित्र से कहानी लेखन' कार्यशाला का आयोजन नेशनल बुक ट्रस्ट मानव संसाधन विकास मंत्रालय की पहल पर आयोजित किया गया। कार्यशाला का संयोजन ट्रस्ट के राष्ट्रिय बाल सहित्य के संपादक द्विवीजेन्द्र कुमार ने किया। कार्यशाला में चार सौ से अधिक विद्यार्थियों की हिस्सेदारी ने रचनात्मक बेचैनी का प्रमाण दिया है। कार्यशाला में बताया गया चित्रकथा ऐसी अवधारणा को साकार करना है जो मानव मन को सृजन धर्मिता से जोड़ता है। कार्यशाला में प्रख्यात कथाकार एवं स्तंभकार क्षमा शर्मा ने कहा कि घर के रहन-सहन की संस्कृति को अपनी रचना का आधार बनाया जा सकता है। विद्याार्थियों से आप बीती/ यात्रा वृतांत लिखते को भी कहा गया। इसके समानातंर जिन बच्चों ने चित्रकला में रूचि प्रकट की उनको एक कहानी के आधार पर चित्र बनाने के लिए कहा गया। उन्होंने बताया कि कार्यशाला में बच्चों द्वारा रोचक लेख लिखे गए । मौलिक रचना को नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित किया जाएगा। कार्यशाला में प्रतियोगिता द्वारा 10 हजार रूपए की किताबें बच्चों की पंसद पर उपहार के रूप में वितरित की गई। राष्ट्रिय बाल साहित्य केन्द्र के आमिर जिलाने ने पुस्तकालय के रख रखाव उसके संचालन व महत्व पर प्रकाश डाला। काशी विद्या पीठ के ललित कला विभाग की अध्यक्ष प्रो मंजुला चतुर्वेदी ने कहा कि चित्रकला मनुष्य की प्राचीनतम अबिव्यक्ति का रूवरूप और माध्यम है। उन्होंने कहा कि प्रकृति के सौन्दर्य को कला के माध्यम से बहुत सहज और सुंदर ढ़ंग से प्रस्तुत किया जाता है। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला साहित्य और कला के अर्न्तसम्बंधों की समीक्षा और सृजन का विस्तार है। उन्होंने कहा कि धरती की हम संतान है और इस प्रकृति के स्रोत हमारे जीवन का आधार है ऐसे में विध्वसं के विरूद्ध हमे सृजन की यात्रा आरम्भ करनी होगी और यह यात्रा इसी तरह संयोजित की जा सकती है। शिब्ली एकेडमी के सीनियर फेलो मौलान उमेर सिद्धीकी नदवी ने कहा कि हम बचपन में बाल साहित्य पढ़कर साहित्य की राह पर चले। उन्होंने कहा कि खिलौना, बूढ़ी काकी, ईदगाह जैसी कहानियों के संस्कार से ही हमारी साहित्य की समझ विकसित हुई आज बाजार ने हमसे हमारे साहित्य को दूर किया है, ऐसे में यह प्रयास यह कार्यशाला बाल मंच में साहित्य के करीब ले जाने का प्रयास है। कार्यक्रम के आरम्भ में उप कृषि निदेशक डा. मौर्य ने कहा कि शिक्षा और साहित्य के मध्य सांस्कृतिक पुनुस्थान का यह जीवंत प्रयोग है। बाहर से आये सृजन धर्मियों की हार्दिक स्वागत है। संचालन करते हुए मेले के समन्यवय राजीव रंजन ने कहा कि नेशनल बुक ट्रस्ट की पहल पर विद्धानों का साक्षात्कार साहित्य का आम जन तक पहुंचाने का अभिनव प्रयोग है। उन्होंने बताया कि शनिवार को मेले में विद्याथियों के लिए पुस्तक समीक्षा थीम खेती संस्कृति का साहित्य मसलन, गोदान जैसी कृतियां विमर्श का आधार होगी। इस अवसर पर राजीव पांडेय, लवकुश सिंह, एजाज, एहसान, परवेज, बनवारी लाल जालान, अबु मोहम्मद, आदि सक्रिय रूप से उपस्थिति रहे।
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