आजमगढ़ : हत्या के प्रयास के दो मामलों की सुनवाई करते हुए मंगलवार को अदालत ने दोष सिद्ध होने पर तीन आरोपियों को सश्रम कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई।
पहली घटना शहर कोतवाली क्षेत्र के ममरखापुर गांव में विगत 20 जून 2004 की शाम हुई बताई गई। इस मामले में ममरखापुर निवासी बलराम का आरोप है कि घटना के वक्त वह अपने भाई मनीराम के साथ शौच के लिए सिवान में गया था। उसी दौरान गांव के रामधारी के ललकारने पर उसके पुत्र बीरबल व सहेंद्र पुत्र केशव ने बलराम पर असलहे से फायर कर दिया। इस मामले में शहर कोतवाली में तीन लोगों के खिलाफ हत्या प्रयास की रिपोर्ट दर्ज कराई गई। मामले की सुनवाई के दौरान प्रतिवादी रामधारी की मौत हो गई। इस मामले में घायल बलराम समेत छह लोग अदालत में बतौर गवाह उपस्थित हुए। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-सात मुकेश कुमार ¨सह ने आरोपी सहेंद्र व बीरबल को सात-सात साल की कैद तथा बीस-बीस हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
इसी क्रम में अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर-एक जगदीश प्रसाद ने हत्या प्रयास के मामले की सुनवाई करते हुए एक आरोपी पर दोष सिद्ध होने पर उसे पांच वर्ष का कारावास तथा पांच हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई। इस मामले में तीन आरोपियों को पर्याप्त साक्ष्य न मिलने पर दोषमुक्त किया गया।
मामला कप्तानगंज थाना क्षेत्र के देवहटा गांव का है। उक्त मामले में वादी मुकदमा विजय नारायण राय पुत्र अलख ने आरोप लगाया कि विगत 21 अप्रैल 2012 की सुबह गांव के विपक्षी राजेश राय ने घर के पास मौजूद ईंटों के ढेर पर रखे बांस को हटाना शुरू किया। विरोध करने पर राजेश ने विजय नारायण पर हमला बोल दिया। इसी दौरान विजय नारायण का पुत्र प्रवेश बीच-बचाव के लिए मौके पर पहुंचा। इस दौरान राजेश राय के साथ रहे लोगों ने प्रवेश पर चाकू से हमला कर दिया। इस मामले में वादी समेत पांच गवाह अदालत के समक्ष प्रस्तुत हुए। दोनों पक्षों की सुनवाई करते हुए विद्वान न्यायाधीश ने आरोपी राजेश राय को दोषी पाते हुए उसे पांच वर्ष कारावास तथा पांच हजार रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई। इस मामले में आरोपित किए गए तीन लोगों को पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में दोषमुक्त कर दिया गया।
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