आज़मगढ़ 27 सितम्बर -- राज्य मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी की अध्यक्षता में मण्डलायुक्त सभागार में आज़मगढ़ मण्डल के तहत सभी जिलों के जन सूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय प्राधिकारियों का मण्डलीय प्रषिक्षण कार्यषाला को सम्बोधित करते हुए कह कि सूचना का अधिकार अधिनियम-2005 एवं उ0प्र0 सूचना का अधिकार नियमावली-2015 में दिये गये अधिनियमों के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराई गयी है। उन्होने कहा कि इस अधिनियम के माध्यम से जन सूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय प्राधिकारियों के कर्तव्य एवं अधिकार क्या हैं, उसके सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गयी है। उन्होने कहा कि कश्मीर को छोड़कर पूरे देश में यह अधिनियम प्रभावी है। उन्होने कहा कि जो भी व्यक्ति अपने कार्यहित में सम्बन्धित विभाग से जानकारी प्राप्त करना चाहता है तो सम्बन्धित जन सूचना अधिकारी को रिपोर्ट उपलब्ध करायेंगे। उन्होने कहा कि इस अधिनियम के लागू होने से शाषकीय कार्य प्रणाली में पारदर्शिता आई है और व्यवस्था में सुधार आया है। उन्होने कहा कि ग्राम पंचायत स्तर से लेकर शासकीय उच्चस्तर के कार्यों में गंभीरता एवं पारदर्शिता आई है। उन्होने कहा कि विभागों में जो प्रार्थना पत्र लम्बित हैं उसका एकमात्र कारण यही है कि जन सूचना अधिकारियों में अज्ञानता थी, जिसके कारण समय से आवेदन पत्रों का निस्तारण नहीं हो पाता था। राज्य मुख्य सूचना आयुक्त उस्मानी ने कहा कि वर्ष 2015 में उ0प्र0 सूचना का अधिकार नियमावली बनाई गयी है जिसमें आवेदन करने तथा आवेदन पत्रों के निस्तारण तक की सम्पूर्ण प्रक्रिया को बहुत ही बारीकी के साथ रेखांकित किया गया है। उन्होने कहा कि जन सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 एवं उ0प्र0 सूचना का अधिकार नियमावली 2015 की सम्पूर्ण जानकारी के लिए प्रदेश भर में मण्डल स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं, जिसमें मण्डल के अन्तर्गत आने वाले सभी जिलों के जन सूचना अधिकारियों एवं प्रथम अपीलीय प्रधिकारियों के लिए एक-एक दिन निर्धारित किए गये हैं। उन्होने कहा कि सभी विभागोें में जन सूचना से सम्बन्धित रजिस्टर रखा जाय जिसमें हर जन सूचना अधिकारी रजिस्टर को मेनटेन करके सभी सूचनायें प्रारूप के अनुसार मुकम्मल करेंगे तो सूचना देने में कोई कठिनाई नहीं आयेगी। उन्होने कहा कि इस अधिनियम को प्रभावी, पारदर्शी एवं व्यवस्थित ढंग से लागू करने के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होने कहा कि यह एक क्रांतिकारी अधिनियम है जिसके माध्यम से परिवर्तन लाया जायेगा। उन्होने कहा कि 2005 से पहले किसी सरकारी कार्यालय में जाकर अपने हित से सम्बन्धित रिपोर्ट चाहकर भी लोग मांगने का साहस नहीं कर पा रहे थे। इस अधिनियम के माध्यम से आम जनता को मजबूत बनाया गया है। उन्होने कहा कि इस अधिनियम के प्रभावी क्रियान्वयन से प्रदेश में सुशासन लाने की जिम्मेदारी दी गयी है। सभी जन सूचना अधिकारी एवं प्रथम अपीलीय अधिकारी अपने कर्तव्य एवं जिम्मेदारियों का सही तरीके से निर्वहन करते है तो यह ‘गुड गवर्नेन्स’ होगा। इस अधिनियम में कड़ी है जिसमें जन सूचना अधिकारी, प्रथम अपीलीय प्राधिकारी तथा सूचना आयोग शामिल हैं। उन्होने कहा कि अपने हित के लिए जो भी सूचना मांगी जाती है वह प्रारूप-2 पर या सादे कागज पर भी प्राप्त की जा सकती है। उन्होने कहा कि सम्बन्धित जन सूचना अधिकारी उसकी पावती को अनिवार्य रूप से दे दें। उन्होने कहा कि आवेदन के साथ 10 रुपये की धनराषि नकद जमा करने की रसीद/डिमाण्ड ड्राफ्ट/बैंकर्स चेक/पोस्टल आर्डर संलग्न करना होगा। उन्होने कहा कि इस अधिनियम में बी0पी0एल0 श्रेणी के आवेदनकों को निःषुल्क आवेदन करने का प्राविधान है, जिसके लिए आवेदका को बी0पी0एल0 सम्बन्धी प्रमाण संलग्न करना होगा। आवेदन के निस्तारण की प्रक्रिया में नाम, पता, आवेदन षुल्क अथवा बी0पी0एल0 प्रमाण पत्र सहित प्राप्त होने पर जन सूचना अधिकारी प्रारूप 3 पर, बनाये गये रजिस्टर में अंकित करेंगे तथा पावती आवेदक को उपलब्ध करायेंगे। उन्होने कहा कि जन सूचना अधिकारी नियम 4(2) के तहत परीक्षण, अन्तरण, प्रकटन से छूट, पृथककरण तथा तृतीय पक्ष का विस्तार से परीक्षण करेंगे। मांगी गयी सूचना सम्बन्धित लोक प्राधिकरण द्वारा रखे गये या उसके नियंत्रणाधीन अभिलेखों का एक भाग होनी चाहिए। उन्होने कहाकि परीक्षण के उपरान्त मांगी गयी सूचना में ऐसे अनुपलब्ध आंकड़ों का नया संग्रह किया जाना अन्तर्वलित नहीं होना चाहिए, जिनको उपलब्ध कराना किसी अधिनियम अथवा लोक प्राधिकरण के किसी नियम या विनियम के अन्तर्गत अपेक्षित नहीं है। उन्होने कहा कि मांगी गयी सूचना में काल्पनिक प्रष्नों का उत्तर प्रदान करने में अन्तर्ग्रस्त नहीं होना चाहिए। मांगी गयी सूचना मंे प्रष्न ‘‘क्यों’’ जिसके माध्यम से किसी कार्य के किए जाने अथवा न किये जाने के औचित्य की मांगी की गयी हो, का उत्तर दिया जाना अन्तर्ग्रस्त नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आवेदक सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध में 500 से अधिक षब्द नहीं होने चाहिए। यदि वांछित सूचना पूर्णतः किसी एक अन्य लोक प्राधिकरण से सम्बन्धित है तो आवेदन की प्राप्ति से 5 दिवस के अन्दर सम्बन्धित लोक प्राधिकरण को प्रारूप 4 पर अन्तरित कर इसकी सूचना आवेदक को दी जायेगी। अन्तरण की स्थिति में जन सूचना अधिकारी द्वारा प्रारूप 3 पर बनाये गये रजिस्टर पर सुसंगत विवरण अंकित किया जायेगा। उन्होने कहा कि यदि वांछित सूचना का कुछ भाग हो या दो से अधिक लोक प्राधिकारणों से सम्बन्धित है तो स्वयं लोक लोक प्राधिकरण से जुड़ी सूचना उपलब्ध कराते हुए आवेदक को परामर्ष दें कि षेश सूचना सम्बन्धित लोक प्राधिकरणों से अलग अलग आवेदन जमा कर प्राप्त कर लें। आवेदन के निस्तारण की प्रक्रिया में जन सूचना अधिकारी नोटिस का विवरण प्रारूप 3 पर बनाये गये रजिस्टर में अभियुक्ति के नीचे अंकित करेंगे, जन सूचना अधिकारी सूचना के प्रकटन के बारे में निर्णय लेते समय तृतीय पार्टी के पक्ष, यदि प्राप्त हुआ हो को ध्यान में रखेंगे। उन्होने कहा कि पृथककरण के लिए नियम 4(7) के अन्तर्गत यदि वांछित सूचना का कुछ भाग छूट प्राप्ति की श्रेणी में है और कुछ भाग प्रकटन से छूट प्राप्त नहीं है तो छूट प्राप्त सूचना को अलग कर षेश भाग की सूचना नियमानुसार दी जायेगी और अंषतः सूचना के सम्बन्ध में आवेदक को प्रारूप 8 पर नोटिस दी जायेगी। जन सूचना अधिकारियों के मुख्य दायित्व में ‘सूचना का अधिकार तुम्हारा, सूचना देना फर्ज हमारा’। उन्होने कहा कि जन सूचना अधिकारी का प्रथम दायित्व नागरिकों को समय से सूचना उपलब्ध कराना है। यदि अधिनियम व नियमावली के अनुसार देय सूचनायें उपलब्ध नहीं करायेंगे तो दण्ड के भागी होंगे। उन्होने कहा कि बिना तर्कसंगत कारणों से यदि आवेदन को निरस्त या अस्वीकृत किया जाता है या जानबूझ कर भ्रामक या अपूर्ण सूचना दी जाती है, या सूचना को नश्ट किया गया तो या सूचना देने में बाधा उत्पन्न की की गयी हो तो धारा 20(1) के तहत 250 रुपये से 25 हजार रुपये तक दण्ड तथा धारा 20(2) के तहत अनुशासनात्मक कार्यवाही की जा सकती है। उन्होने कहा कि प्रथम अपीलीय की प्रक्रिया में जन सूचना अधिकारी के निर्णय से असन्तुश्ट होने की दषा में आवेदक 30 दिनों के भीतर प्रारूप् 13 पर प्रथम अपीलीय प्राधिकारी के समक्ष अपील कर सकते हैं। यह अपील सादे कागज पर भी प्रारूप 13 के विवरण सहित दायर की जा सकती है। उन्होने बताया कि यदि अपवाद की स्थिति में 30 दिनों से अधिक का समय लिया जाता है तो अपीलीय प्राधिकारी को चाहिए कि वह विलम्ब के कारणों को लिखित रूप में दर्ज करें। इससे पूर्व राज्य मुख्य सूचना आयुक्त श्री उस्मानी ने दीप प्रज्ज्वलित कर तीन दिवसीय प्रषिक्षण कार्यक्रम का विधिवत शुभारम्भ किया। कार्यक्रम को मण्डलायुक्त नीलम अहलावत, राज्य सूचना आयुक्त पारसनाथ गुप्ता आदि ने भी सम्बोधित किया। मण्डलायुक्त श्रीमती अहलावत, जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बुकें देकर राज्य मुख्य सूचना आयुक्त मा0 जावेद उस्मानी एवं राज्य सूचना आयुक्त पारसनाथ गुप्ता को बुकें देकर उनका स्वागत किया। प्रषिक्षण में स्टेट रिसोर्स पर्सन राहुल सिंह द्वारा अधिनियम 2005 व नियमावली 2015 के सम्बन्ध में विस्तार से जानकारी दी गयी। इस अवसर पर संयुक्त निदेषक प्रषासनिक सुधार विभाग षील अस्थाना, अपर आयुक्त अनिल कुमार मिश्र व पी0के0 श्रीवारस्तव, डी0डी0सी0 ऋतु सुहास, पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) षैलेन्द्र सिंह, संयुक्त विकास आयुक्त हीराला, मुख्य विकास अधिकारी महेन्द्र वर्मा, अपर जिलाधिकारी वी0के0 गुप्ता, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 ए0के0 तिवारी, परियोजना निदेषक एस0के0 पाण्डेय, समस्त उपजिलाधिकारी, समस्त तहसीलदार सहित अन्य जनपद स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।
Blogger Comment
Facebook Comment