आजमगढ़: नगर के लालडिग्गी बांध पर स्थित प्राचीन बड़ा गणेश मंदिर में सोमवार को भगवान गणेश जी की चतुर्थी बड़े ही धूम-धाम से मनायी गयी। इस दौरान सुबह से ही श्रदालु भगवान गणेश के पूजन-दर्शन के मंदिर पर उमड़ रहे थे। शाम को आरती के साथ ही भंडारे का आयोजन किया गया। जिसमे भरी संख्या में श्रद्धालु उमड़े और भगवान् गणेश का पूजन दर्शन किये। इस ऐतिहासिक मंदिर में स्थापित भगवान गणेश की प्रतिमा पूरी मूंगे की बनी हुई है इस मंदिर के स्तर पर विश्व में केवल चुनिंदा मंदिर ही माने जाते है । वैसे तो हर बुधवार यहाँ मेले जैसा माहौल होता है पर सोमवार को गणेश चतुर्थी के अवसर पर भगवान के दर्शन-पूजन के लिए मंदिर पर श्रद्धालु सुबह से ही आते रहे और भगवान का दर्शन-पूजन कर अपनी सुख समृद्धि की कामना कर रहे है। मान्यता है कि आज ही के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था और यहाँ उनका जन्मोत्सव पूरे देश में बडे़ ही धूम-धाम से मनाया जाता है। शहर के लालडिग्गी बंधें के नीचे स्थित बड़ा गणेश मन्दिर श्रद्धालुओं को बरबस अपनी ओर खिंचता है। अतीत की स्मृतियों में झांके तो यह स्थान कभी गणेश टीला के नाम से जाना जाता था।
इस स्थान और मन्दिर की मान्यता है कि यहां भगवान श्री राम वनवास जाते समय पहली रात अपनी प्रजा के साथ इसी स्थान पर गुजारे है और यही से दूसरे दिन प्रजाजनों को छोड़कर श्रीराम आदि गंगा नदी के किनारे स्थित भारद्वाज ऋषि के आश्रम चले गये। वर्तमान में मंदिर के महंत श्री राजेश मिश्र हैं। उन्होंने बताया की मान्यता तो यह भी है कि पूरे प्रदेश में मात्र तीन विघ्नहर्ता गणेश के पीठ है। जिसमें एक स्थान जिले का यह मन्दिर रखता है। लगभग हजारों वर्ष पुराना यह मन्दिर जिले की ऐतिहासिक धरोहर है। जिसे आज भी गणेश भक्तों ने संजोए रखा है। मशहूर तीन गणेश पीठों में पहले लखनऊ शहर के गणेशगंज क्षेत्र में स्थित है। इसके बाद वाराणसी के लोटीया क्षेत्र में है इन दोनो के बाद तीसरा स्थान गणेश टीला के नाम से मशहूर यह गणेश जी का मन्दिर है। यह मन्दिर जिस स्थान पर स्थित है वहां आज से लगभग 60 वर्ष पहले तमसा नदी मन्दिर से सट कर बहती थी जिसने अब लगभग एक किमी दूर अपना स्थान बना लिया है। लोगों का कहना है कि भगवान गणेश आदि देवता है जो भी कुछ कार्य किया जाता है उससे पूर्व भगवान गणेश जी पूजा होती है। चतुर्थी एक तिथि ऐसी है जिसमें गणेश जी की विशेष पूजा होती है। लोगों का कहना है कि जो भी अपने जीवन की आंकाक्षाएं व आशाएं लेकर उनके सम्मुख जाता है और उनकी पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है।
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