आजमगढ़ : रेडक्रास सोसाइटी सभागार में मुख्य चिकित्सा अधिकारी एसके तिवारी की अध्यक्षता में अतरौलिया, अहिरौला, कोयलसा और बिलरियागंज विकास खंड की 18 केस का समुदाय आधारित मातृ-मृत्यु समीक्षा विश्लेषण रिपोर्ट बुधवार को ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान के तत्वाधान में प्रस्तुत किया गया। इसमें 24 अक्टूबर 2012 से 22 जनवरी 2015 के बीच मातृ-मृत्यु शामिल थी। इसे प्रस्तुत करते हुए 'सहयोग' लखनऊ से आई संगीता ने बताया कि ग्रामीण पुनर्निर्माण संस्थान के द्वारा पिछले एक साल में अतरौलिया ब्लाक में ही 10 मातृ-मृत्यु का दस्तावेजीकरण किया गया था लेकिन सरकार की रिपोर्ट में जीरो बताया गया। इसका मतलब कहीं न कहीं मातृ-मृत्यु के रिपोर्टिग के प्रति संवेदनशीलता नहीं है। प्रस्तुतीकरण से यह भी पता चला कि ज्यादातर मौतें 20-30 आयु वर्ग की और सभी महिलाएं बीपीएल परिवारों से थीं। अधिकांश की मौत सरकारी अस्पताल की सेवाओं में लापरवाही के चलते निजी अस्पतालों में जाने की वजह से हुई। अधिक पैसा खर्च करने के बाद भी उनकी जान नहीं बची। रिपोर्ट के अनुसार प्रसव पूर्व देखभाल और खतरे की लक्षण वाली महिलाओं का उचित प्रबंधन, प्रसव के दौरान सरकारी अस्पतालों में सेवा प्रदाताओं के अच्छे व्यवहार, प्रसव पश्चात सेवाओं की गुणवत्ता एवं परिवार नियोजन सेवाओं की अनुपलब्धता के चलते हुईं हैं। सीएमओ डा. एसके तिवारी ने कहा कि आप लोगों ने आज हमें हमारे ग्रामीण क्षेत्रों में अस्पतालों की स्थिति के बारे में बताया। इसके लिए वह उनके आभारी है। मातृ-मृत्यु की समीक्षा करने हेतु हर ब्लाक और जिले में समितियां बन गई हैं, हमारा प्रयास होगा कि यह जल्दी ही सक्रिय हो जाएं।
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