आज़मगढ़ 13 जुलाई -- जिला कृषि अधिकारी वसन्त कुमार दुबे ने बताया कि मानसून की अनिश्चितता तथा अवर्षण की स्थिति के कारण आवश्यक हो गया है कि कृषकों को धान की खेती के अलावा अन्य फसलों विशेष कर दलहनी फसलों की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाय। किसान की थाली से दालों के गायब हो जाने के कारण सरकार द्वारा विभिन्न माध्यमों यथा न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि, बीज अनुदान में वृद्धि, तथा तकनीकी प्रदर्शनों के आयोजन द्वारा भी निरन्तर प्रयास किये जा रहे है। वर्षा की कमी के कारण जो किसान भाई धान की रोपाई नही कर सकते उनके लिए दलहन की खेती द्वारा जहाॅ एक ओर निश्चित आय सुनिश्चित की जा सकेगी वहीं पर दलहन की खेती द्वारा खेत की उर्वरा शक्ति को संरक्षित रखने में भी महत्वपूर्ण सहायता मिलती है। उन्होने बताया कि दलहनी फसलों के क्षेत्रफल को बढ़ाने तथा दलहन की खेती की ओर कृषकों को आकर्षित करने के लिए कृषि विभाग आजमगढ़ द्वारा उर्द के 100-100 हे0 के संहत क्षेत्रों में दो क्लस्टर प्रदर्शन आयोजित किये जा रहे है। प्रदर्शनों के अन्तर्गत रू0 6700.00 प्रति हे0 की दर से कृषि निवेशों के रूप में अनुदान अनुमन्य है। डी0बी0टी कार्यक्रम के अन्तर्गत पहले कृषकों को पूर्ण मूल्य दे कर बीज सहित समस्त अनुमन्य कृषि निवेशों को राजकीय बीज भण्डारों से खरीदना होता है। तदोपरान्त उपरोक्तानुसार अनुमन्य सीमा तक की धनराशि डी0बी0टी0 के माध्यम से कृषकों के बैंक खातों में स्थानान्तरित कर दी जाती है। क्लस्टर प्रदर्शनों के लिए पन्तनगर कृषि विश्व विद्यालय से विकसित उर्द की पन्त उर्द 31 प्रजाति को चुना गया है। यह प्रजाति 70-75 दिनों में तैयार होने वाली है तथा इसकी उपज क्षमता 19 कु0 प्रति हे0 तक है। यह प्रजाति पीला चित्रवर्ण (मोजैक) रोग अवरोधी है। उर्द की बुवाई के लिए जुलाई के तीसरे सप्ताह से अगस्त के प्रथम सप्ताह तक का समय उवयुक्त होता है। बीज को 01 ग्राम कार्वेन्डाजीम अथवा 02 ग्राम थीरम अथवा ट्रइकोडरमा 10 ग्राम प्रति कि0ग्रा0 बीज की दर से शोधित करने के उपरान्त उर्द के राइजोबियम कल्चर के एक पैकेट से 10 कि0ग्रा0 बीज का उपचार करना चाहिए। बीज की मात्रा 15 कि0ग्रा0 प्रति हे0 उपयुक्त होती है। उर्द को बोते समय कूड़ से कूड़ की दूरी 30 से 45 से0मी0 तथा पौधे से पौधे की दूरी 10 से0मी0 रखनी चाहिए। 10 कि0ग्रा0 नत्रजन तथा 40 कि0ग्रा0 फास्फोरस एवं 200 कि0ग्रा0 जिप्सम प्रति हे0 की दर से उपयोंग करने से उर्द की भरपूर उपज प्राप्त की जा सकती है। प्रदर्शन में शामिल होने के इच्छुक कृषक अपने क्षेत्र के कृषि विभाग के तकनीकी सहायक से सम्पर्क कर अपना पंजीकरण करा सकते है। चूॅकि यह प्रदर्शन एक संहत क्षेत्र में आयोजित किया जाना है अतः क्षेत्र के अधिकाधिक कृषकों के शामिल होने से कृषि विशेषज्ञों की निरन्तर निगरानी के द्वारा इसके आयोजन की सफलता सुनिश्चित की जा सकेगी।
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