आजमगढ़ : बाबा भवर नाथ जी मंदिर परिसर में चल रही श्री राम कथा के सातवें दिन संत सर्वेश जी महाराज ने कहा की सनातन पुरातन है, सनातन धर्म की नियमावली सभी धर्मों की अपेक्षा अलग है सनातन धर्म में विवाह एक बार ही निश्चित किया गया है ,यह बंधन जन्म जन्मांतर का होता है ऐसा हमारे धर्म में माना गया है। संगीतमय श्री राम कथा के दौरान पूरे मंदिर परिसर को श्रीराम विवाह के लिए सजाया गया था बाबा सर्वेश जी ने गीत व संगीत के माध्यम से श्री राम विवाह का प्रसंग सुनाया तो वहां पूरा माहौल राम मय हो गया सभी भक्त गण नाचने झूमने लगे सोहर गीत गाए जाने लगे "राघव धीरे चलो ससुराल कि गलियां " सुन बच्चे बूढ़े महिलाएं सब नृत्य कर रहे थे पूरा मंदिर परिसर का वातावरण मन को छू जाने वाला था. पुष्पों की वर्षा और आतिशबाजी भी हो रही थी। उन्होंने कहा कि हमारे यहां विवाह के समय पति को सात फेरे सात वचन सात संकल्प सात जन्मों के लिए दिलाया जाता है। भगवान श्रीराम का विवाह पंचम तिथि अगहन मास अभिजीत मुहूर्त दिन मंगलवार को संपन्न हुआ था प्रेम मूर्ति सर्वेश जी महाराज ने कहा कि आज का युवा माता-पिता द्वारा स्वीकृत विवाह को जल्दी स्वीकार नहीं करता जब कि आज से दो तीन दशक पहले न तो कन्या वर को देख पाती थी ना वर कन्या को देखता था और विवाह संपन्न होता था आज का युवा अपने मां-बाप की पसंद को सम्मान नहीं दे रहा है यह उचित नहीं है। हर पुत्र को अपने माता-पिता की आज्ञा को भगवान का आदेश समझना चाहिए। उन्होंने कहा कि दानव रूपी दहेज हमारे समाज को खोखला करता जा रहा है। स्त्री को भी सास ससुर की सेवा के साथ साथ पति की सेवा भी करनी चाहिए पति की सेवा कोई देवपूजा से कम नहीं है। एक पत्नी के लिए पति परमेश्वर होता है तथा पत्नी को अपनी मर्यादा में रहकर पति की हर आज्ञा का पालन करना चाहिए ,यही नारी धर्म है। विवाह के उपरांत अन्य पुरुष के विषय में सोचना भी महापाप है पति चाहे जैसा भी हो उसका तिरस्कार - अपमान कदापि नहीं करना चाहिए। आरती व प्रसाद वितरण के बाद कथा को बुधवार की शाम के लिए विराम दिया गया। कथा में मुख्य रूप से सीजीएम, एस डी एम ,डॉक्टर अभिषेक सिंह , थानाध्यक्ष कंधरापुर सहित सैकड़ो श्रद्धालु उपस्थित रहे।
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