आजमगढ़ : प्रभु को प्राप्त करने के लिए दो उपाय हैं पहला आप उसके सखा, मित्र बन जाइए तो ऐसा प्रतीत होगा कि वह सदा आपके आसपास आपके साथ है या फिर रावण की तरह अपना शत्रु बना लिजिए उद्धार दोनों परिस्थितियों में आपका होना निश्चित है, बस एक का जीवन रहते और एक का जीवन के अंत में उक्त बातें प्रेम मूर्ति सर्वेश जी महाराज ने श्रीराम कथा के दौरान कही। बाबा भवर नाथ जी मंदिर परिसर में चल रही श्री राम कथा के पांचवे दिन युवा संत ने कहा कि गुरु से अच्छा पावन व शुभचिंतक दुनिया में और दूसरा कोई नहीं है क्यों कि गुरु वह होता है जो आपके सभी कष्टों का निवारण करे ,संसार में आपके साथ सुख को बांटने वाले हजारों लाखों मिलेंगे पर दुख को बांटने वाला कदाचित कोई नहीं मिलेगा अगर कोई आपके दुख को बांट सकता है निवारण कर सकता है तो वह मात्र गुरु ही है। उन्होंने कहा कि ईश्वर ने आपको जो भी कुछ दिया है उसके लिए उसका शुक्रिया अदा करना चाहिए ना कि दूसरों को देख कर दुखी, आगे उन्होंने हनुमान जी के जन्म की कथा को विस्तारपूर्वक सुनाया , महाराज ने कहा कि प्रसाद को सदा सम्मान पूर्वक ग्रहण करना चाहिए और तिरस्कार कदापि न करें , प्रसाद को जहां तक हो सके बाट कर ही ग्रहण करें क्योंकि प्रसाद बांटकर ग्रहण करने से अधिक फल प्राप्त होता है। उन्होंने राजा दशरथ द्वारा किए गए पुत्र कामना यज्ञ तथा मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के जन्म की कथा को गीत व संगीत के माध्यम से सुना कर श्रद्धालुओं को झूमने वह नाचने पर विवश कर दिया श्री राम जी का एक सुंदर पालना मंदिर परिसर में ही लगाया गया था जो श्रद्धालुओं को मन को खूब भाया। प्रभु जन्म के साथ श्रद्धालुओं पर आयोजकों ने पुष्पों की वर्षा की पटाखे फूटने लगे ऐसा लग रहा था मानो मंदिर परिसर अयोध्यापुरी बन गया हो महिलाएं नित्य कर रही थी बाबा के साथी कलाकार सोहर गा रहे थे जय श्री राम की जय घोष हो रहे थे इसके बाद "भए प्रगट कृपाला दीन दयाला कौशल्या हितकारी" प्रस्तुति की गयी और प्रसाद वितरण किया गया। इस अवसर पर डॉक्टर जे एन सिंह, विपिन सिंह डब्बू ,अनिल सिंह मामा ,रामप्रीत मिश्र , डॉ दिनेश शर्मा , हरी सिंह , अनिल राय , राजेश रंजन , पप्पू सिंह के साथ साथ श्रृंगार मंडली व आरती मंडली के सभी लोग उपस्थित रहे!
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