अंबारी: आजमगढ़ : मध्य प्रदेष के राज्यपाल रामनरेष यादव के पिता मुंशी गया प्रसाद यादव की 118वीं जयन्ती पर मंगलवार की रात अंबारी स्थित सरस्वती राधाकृष्ण इण्टर कालेज में कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस दौरान हिन्दी के विद्वान कवियों ने कन्या भ्रूण हत्या, देश भक्ति, शिक्षा का महत्व के साथ ही हास्य व्यंग की रचनाएं प्रस्तुत कर लोगों का दिल जीत लिया। कवि सम्मेलन में सैकड़ो की संख्या में क्षेत्र के प्रबुद्ध लोग मौजूद रहे।
कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि मेवालाल गोस्वामी एवं संयोजक डां सुरेष यादव ने संयुक्त रूप से मां सरसवती एवं मुंशी गया प्रसाद यादव के चित्र पर मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद क्षेत्र के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने मुंशीजी के चित्र पर मार्ल्यापण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रसिद्ध गीतकार टिंकू सिंह भदौरिया बाराबंकी एवं महुआ चैनल के बिरहा गायक राजनाथ यादव गाजीपुर ने अपनी प्रस्तुतियां देकर लोगों को आनन्दित किया। इसी क्रम में कवियत्री सरोज पाण्डेय कमल ने मै दिवानी हो रही हूं, कभी हस रही कभी रो रही हूं, न लग जाये कालिख मेरी इस बदन पर मै जल में मल मल कर दिल धो रही हूं की प्रस्तुति सनुकर श्रोता भावविभोर हो गये। ज्ञानेन्द्र द्विवेदी दीपक ने मुंशी गया प्रसाद पर क्षेत्रवासियों को सन्देश देते हुए कहा कि सदा सजोए रखना अपनी संस्कृति की हर थाती, कोटि कोटि मैं नमन करूं अंबारी की इस धरती को। वाणी पर संयम का पहरा अच्छा लगता है सुना कर लोगों को संदेष देने का काम किया। रामअधार व्याकुल ने आज कल के गुरूओं पर व्यंग करते हुए कहा कि क्या पढ़ाना था गुरूजी, क्या पढ़ाया आपने , दक्षिणा लेकर नकल कराना सिखाया आपने। माई की कोखिया में सिसकारी ले बिटिया बैरी भईल संसार जी की प्रस्तुत पर लोगों की आंखें नम हो गईं। कार्यकम के अन्त में वाराणसी के कवि विचित्र ने अपनी भोजपुरी कविता के माध्यम से डांक्टर, वकील, शिक्षक , तांत्रिक, नेता, किसान आदि लोगों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से व्यंग किया। जिसे सुन श्रोताओं द्वारा बजाई गई तालियों से पूरा पण्डाल गूंज उठा। इसी क्रम में यशवन्त सिंह यश , पंडित कुबेरनाथ, चन्दन ब्रहमयोगी, रहबर सिकन्दरपुरी, सत्यम बदा सत्या ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी। अध्यक्षता शाह मोहम्मद इसमाइल एवं संचालन रामअधार व्याकुल ने किया। इस मौके पर दैवज्ञ दुर्वासा मण्डल मुन्ना बाबा, स्टेशन अधीक्षक अनिल कुमार, नीरज नरेश यादव, रामचन्दर यादव, हरिवंश यादव, रामअजोर यादव, रामाश्रय यादव, बलबीर सिंह यादव, डां नन्द किशोर यादव, डां सुभाष यादव, संतोष यादव, सूरज विष्वकर्मा, गणेश प्रजापति, बांकेलाल, गौतम यादव आदि रहे। अन्त में समिति के संयोजक डां सुरेश यादव ने सभी का आभार प्रकट किया।
कार्यक्रम की शुरूआत मुख्य अतिथि मेवालाल गोस्वामी एवं संयोजक डां सुरेष यादव ने संयुक्त रूप से मां सरसवती एवं मुंशी गया प्रसाद यादव के चित्र पर मार्ल्यापण एवं दीप प्रज्जवलित कर किया। इसके बाद क्षेत्र के सैकड़ों की संख्या में लोगों ने मुंशीजी के चित्र पर मार्ल्यापण कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किया। कार्यक्रम की शुरुआत में प्रसिद्ध गीतकार टिंकू सिंह भदौरिया बाराबंकी एवं महुआ चैनल के बिरहा गायक राजनाथ यादव गाजीपुर ने अपनी प्रस्तुतियां देकर लोगों को आनन्दित किया। इसी क्रम में कवियत्री सरोज पाण्डेय कमल ने मै दिवानी हो रही हूं, कभी हस रही कभी रो रही हूं, न लग जाये कालिख मेरी इस बदन पर मै जल में मल मल कर दिल धो रही हूं की प्रस्तुति सनुकर श्रोता भावविभोर हो गये। ज्ञानेन्द्र द्विवेदी दीपक ने मुंशी गया प्रसाद पर क्षेत्रवासियों को सन्देश देते हुए कहा कि सदा सजोए रखना अपनी संस्कृति की हर थाती, कोटि कोटि मैं नमन करूं अंबारी की इस धरती को। वाणी पर संयम का पहरा अच्छा लगता है सुना कर लोगों को संदेष देने का काम किया। रामअधार व्याकुल ने आज कल के गुरूओं पर व्यंग करते हुए कहा कि क्या पढ़ाना था गुरूजी, क्या पढ़ाया आपने , दक्षिणा लेकर नकल कराना सिखाया आपने। माई की कोखिया में सिसकारी ले बिटिया बैरी भईल संसार जी की प्रस्तुत पर लोगों की आंखें नम हो गईं। कार्यकम के अन्त में वाराणसी के कवि विचित्र ने अपनी भोजपुरी कविता के माध्यम से डांक्टर, वकील, शिक्षक , तांत्रिक, नेता, किसान आदि लोगों पर अपनी रचनाओं के माध्यम से व्यंग किया। जिसे सुन श्रोताओं द्वारा बजाई गई तालियों से पूरा पण्डाल गूंज उठा। इसी क्रम में यशवन्त सिंह यश , पंडित कुबेरनाथ, चन्दन ब्रहमयोगी, रहबर सिकन्दरपुरी, सत्यम बदा सत्या ने भी अपनी रचनाएं पढ़ी। अध्यक्षता शाह मोहम्मद इसमाइल एवं संचालन रामअधार व्याकुल ने किया। इस मौके पर दैवज्ञ दुर्वासा मण्डल मुन्ना बाबा, स्टेशन अधीक्षक अनिल कुमार, नीरज नरेश यादव, रामचन्दर यादव, हरिवंश यादव, रामअजोर यादव, रामाश्रय यादव, बलबीर सिंह यादव, डां नन्द किशोर यादव, डां सुभाष यादव, संतोष यादव, सूरज विष्वकर्मा, गणेश प्रजापति, बांकेलाल, गौतम यादव आदि रहे। अन्त में समिति के संयोजक डां सुरेश यादव ने सभी का आभार प्रकट किया।
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