आजमगढ़। सिख समाज के महान बलिदानी एवं सिख पंथ के पहले जनरैल सन्त बाबा बंदा सिंह बहादुर का 300वां शहीदी दिवस नगर के गुरूद्वारा श्री गुरूनानक दरबार बिटठल घाट पर रविवार को धूम-धाम से मनाया गया। संगत के प्रबन्धक जत्थेदार सतनाम सिंह ने बाबा बंदा सिंह बलिदानी के जीवन वृत्त एवं कृतित्व की चर्चा करते हुए बताया कि वे अपने पुत्र अजैसिंह के साथ 780 सिख सिपाहियों ने देश व धर्म की रक्षा के लिए अभूतपूर्व बलिदान दिया और दुश्मनों से लड़ते हुए शहीद हुए। उनका बलिदान हमें हमेशा प्रेरण देता है। सुरेन्द्र सिंह चावला ने बताया कि बाबा बन्दा सिंह बलिदानी का जन्म कश्मीर प्रान्त के पुंछ राजौरी में सन् 1670 राजपूत पिता रामदेव के घर हुआ। इनके बचपन का नाम लक्ष्मण दास था वे बहुत अच्छे शिकारी थे। दसवें पातशाह श्री गुरू गोविन्द सिंह ने उन्हें सिंह बनाया और तभी से वे बन्दा सिंह बहादुर कहलाए। इन्होंने सिख राज की नींव 1710 र्इं0 में रखी। इन्होंने पारसी भाषा में नानकशाहीं सिक्कों को चलाया। 1766 ई0 में 780 सिख सिपाहियों के साथ मुगलों द्वारा अनेक यातनाएं देकर दिल्ली में शहीद किया गया था।
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