धर्म जाति से हमारी पहचान न हो- डॉ0 बीएन गौंड़ आजमगढ़। जनवादी मंच का तीसरा केन्द्रीय सम्मेलन स्थानीय नेहरूहाल में रविवार को सम्पन्न हुआ जिसके मुख्य अतिथि डॉ0 रविन्द्र नाथ राय एवं का0 मनीष संयुक्त रूप से रहे। अपने सम्बोधन में विशिस्ट अतिथि प्राख्यात चिकित्सक डॉ0 बीएन गौंड ने कहा कि हमारी पहचान जाति धर्म से नहीं बल्कि किसान, मजदूर, बुनकर, शिक्षक, कर्मचारी के रूप में होनी चाहिए। डॉ0 रविन्द्र नाथ राय ने कहा कि सामन्तवादी राजतंत्रीय व्यावस्था के हवस के बाद पूँजीवादी व्यावस्था में प्राप्त जनता के बुनियादी नागरिक, जनवादी अधिकार एक-एक कर छीनने की कोशिश की जा रही है। राजनैतिक दलों की सरकारों की नीति पूँजीवादी-साम्राज्यवाद से रोज नये-नये समझौते की दिशा में चल रही है परिणाम स्वरूप मेहनतकश वर्ग पर अत्याचार अन्याय व उनका शोषण बढ़ रहा है। संचालक मंण्डल के मनीष ने संगठन के दृष्टिकोण व नीतियों को स्पष्ट करते हुए बताया कि विश्व में मुटठीभर लोगों के हाथ में पूंजी का संकेन्द्रण बहुत तेजी से बढ़ रहा है। श्रम विरोधी कानून पास किये जा रहे है समाज को सम्प्रदायों -जातियों, क्षेत्रों में बाँटकर पूँजीवादी व्यावस्था लूट रही है और इस व्यावस्था को शासक वर्ग स्थायित्व प्रदान करने में लगा हुआ है। सुबाष प्रजापति ने जनवादी संगठनों में नये नव युवकों को जोड़ने पर बल दिया। सम्मेलन के प्रारंभ में मौन रखकर जनवादी संघर्षोें में दुनियाँ के समस्त, क्रान्तिकारी वीरों को श्रद्वांजलि दी गयी। कार्यक्रम में कृष्णचन्दर द्वारा लिखित नाटक गड्ढ़ा का मंचन सुल्तानपुर से आये कलाकारों ने किया तथा पश्चिम बंगाल व त्रिपुरा के कलाकरों ने कहा कि भारत नहीं दुनियाँ का बदलों गीत प्रस्तुत किया। नारायण गोंड ने भगत सिंह पर गीत गाया। अनिल चतुर्वेदी, डॉ0 सोनी पाण्डेय, दान बहादुर, अनिल मौर्य, एवं रामराज ने राजनैतिक प्रस्ताव रखा । हुकुम सिंह, अनिल चतुर्वेदी, आजाद, कन्हैया लाल आदि ने अपने विचार व्यक्त किया।
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