आजमगढ़. छोटे दलों से गठबंधन के जरिये प्रदेश की सत्ता हासिल करने की कवायद में जुटी पीस पार्टी ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के गढ़ से ही पोस्टर वार की शुरूआत की है। मुद्दा भी ऐसा है कि जिससे सपा के साथ भाजपा और बसपा भी बैकफुट पर नजर आ रही है। पार्टी का यह दाव कारगर साबित हुआ तो इन बड़े दलों के लिए मुसीबत खड़ी होनी तय है। कारण कि जिले की आधी आबादी लंबे समय से शराब बंदी के लिए संघर्ष कर रही है। बता दें कि जिले में शराब और कुपोषण एक बड़ी समस्या है। वर्ष 2009 में इरनी जहरीली शराब कांड में एक दर्जन मौत हुई थी तो वर्ष 2013 में मुबारकपरु में जहरीली शराब पीने से 46 लोग मौत के ग्रास बने थे। जहरीली शराब से छिटपुट मौत आये दिन होती है। सगड़ी विधानसभा से लेकर मुबारकपुर और सदर क्षेत्र में शराब बंदी के लिए लंबे समय से मांग उठ रही है। इस मुद्दे को लेकर महिलाएं कई बार सड़क पर उतर चुकी हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव हाल में यह कहकर कि यूपी में तत्काल शराब बंदी संभव नहीं हैं इनकी उम्मीदों को तोड़ा है बल्कि विपक्ष को इस मुद्दे पर सरकार को घेरने का अवसर प्रदान कर दिया है। वैसे भाजपा, बसपा और कांग्रेस इसे भुनाने में पूरी तरह नाकाम रही है लेकिन पीस पार्टी ने बिल्कुल सही समय पर स्थिति का आकलन किया और शराब बंदी को चुनावी मुद्दा बनाते हुए पोस्टर वार शुरू कर दिया है। शुरूआत भी उसी मुबारकपुर क्षेत्र से की गयी है जहां जहरीली शराब ने सबसे अधिक कहर बरपाया है। पीस पार्टी ने शराब बंद करों, कुपोषण खत्म करो, शराब हटाओ घर बचाओं के नारे के साथ न केवल पोस्टर वार शुरू किया है बल्कि उक्त मांगों को लेकर पार्टी 30 मई को जिला मुख्यालय पर धरना प्रदर्शन करने जा रही है। यह मुद्दा पार्टी के लिए काफी मुफीद साबित हो सकता है।
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