आजमगढ़। अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान में नरौली स्थित विश्वकर्मा भवन में गुरूवार को पूर्व राष्ट्रपति स्व0 ज्ञानी जैल सिंह की 101वीं जयन्ती समारोह पूर्वक मनायी गयी।
बतौर मुख्य अतिथि महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष रामआसरे विश्वकर्मा ने स्व0 ज्ञानी जैल जी के चित्र पर पुष्पाँजलि अर्पित की।
अपने सम्बोधन में उन्होंने जी के जीवन वृत्त एवं कृतित्व पर विस्तार पूर्वक प्रकाश डालते हुए कहा कि गरीब विश्वकर्मा बढ़ई परिवार में जन्में ज्ञानी जैल सिंह जी अपनी सत्य निष्ठा, धर्म निष्ठा, अटल विश्वास के साथ अटूट देश प्रेम व राष्ट्र•ाक्ति व राष्ट्र सेवा की प्रवृत्ति के कारण आजाद भारत के प्रथम सिख राष्ट्रपति हुए। वह एक दृढ़ निश्चयी निरपेक्ष एवं महान् स्वाधीनता संग्राम सेनानी थे। अंग्रेजी के अत्याचार भी उन्हें उनके निश्चय से नहीं डिगा सके। उनका जीवन वृत्त सदैव अनुकरणीय रहेगा।
समारोह को जेल विजीटर दिनेश विश्वकर्मा, जिलाध्यक्ष राम प्रकाश शर्मा, अम्बिका शर्मा, ऋतुराज विश्वकर्मा, हीरा लाल विश्वकर्मा, अरूण विश्वकर्मा, पद््माकर लाल वर्मा, सन्त मौर्य, मु0 काजी अरशद, सुरेन्द्र विश्वकर्मा, संजीव विश्वकर्मा आदि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।

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