
आजमगढ़। : परिवहन निगम के आजमगढ़ डिपो के घुसखोर एआरएम को शुक्रवार की पूर्वाह्न करीब 11.30 बजे गोरखपुर विजलेंस टीम ने रंगे हाथ पांच हजार रूपये संविदा परिचालक से घूस लेते गिरफ्तार किया। आरोपी एआरएम को शहर कोतवाली में मामला पंजीकृत कराने के बाद टीम अपने साथ ले गयी। गौरतलब है कि पिछले एक साल जब से रोडवेज परिसर में निर्माण चल रहा है तभी से यहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। पहले रोडवेज करतारपुर हस्तानान्तरित करने की बात हुई लेकिन निजी बसों से होने वाली कमाई बंद न हो इसलिए रोडवेज को वहां हस्तानान्तरित नहीं किया गया। बल्कि अधिकारी सड़क से ही रोडवेज का संचालन शुरू कर दिये। यहां सरकारी बसों में बीच में निजी बसों को खड़ा कराकर मुंहमांगी वसूली शुरू कर दी गयी। इस दौरान कई लोग उचक्कागिरी के शिकार हुए तो मामले से पर्दा उठा। पिछले दिनों वसूली इतनी बढ़ गयी कि विभागीय कर्मचारी भी त्रस्त हो गये। 17 मई को आजमगढ़ डिपो की बस वाराणसी से सवारी लेकर लौट रही थी रास्ते में लालगंज देवगांव के बीच टीआई अवनि राय ने बस को रोककर चेक किया और संविदा पर तैनात परिचालक जौनपुर जनपद के चंदवक थाना क्षेत्र के करनेहुआ गांव निवासी सत्य प्रकाश सिंह पुत्र रामधनी सिंह पर टिकट मशीन खराब करने का आरोप मढ़ दिया। इसके बाद एआरएम आजमगढ़ डीपो बंद्री प्रसाद नरायन सिंह पुत्र लक्ष्मी नारायण निवासी मगरखापुर थाना शहर कोतवाली ने परिचालक का निलंबित कर दिया और आरोप है की बाद में बहाली के लिए पांच हजार रूपये की डिमांड की। पीड़ित परिचालक ने भ्रष्टाचार से पर्दा उठाने का फैसला कर लिया और अपने पिता सेवानिवृत्त डिप्टी एसपी रामधनी सिंह से सहयोग मांगा। पिता का साथ मिलने के बाद उसने विजलेंस गोरखपुर के सीओ से फोन पर बात की। उन्होंने तत्काल इन्सपेक्टर सभाजीत के नेतृत्व में पांच सदस्यीय टीम का गठन किया। दो दिन पूर्व टीम आजमगढ़ पहुंची। इस बीच परिचालक एआरएम से मिलकर बात की और शुक्रवार को धन देने की बात तय हुई। पूर्वाहृन करीब 10 बजे टीम जिलाधिकारी सुहास एलवाई से मिली। डीएम ने पीडब्ल्युडी के लिपिक रजनीश सिंह और डीआईओएस कार्यालय के स्टेनो धर्मवीर को बतौर सरकारी गवाह टीम के साथ लगा दिया। इसके बाद 11.30 बजे परिचालक ने एआरएम कार्यालय पहुंचकर एक हजार के पांच नोट पकड़ाये। एआरएम ने जैसे रूपया लिया विजलेंस टीम ने उन्हें पकड़ लिया। इसके बाद टीम द्वारा एआरएम का हाथ सोडियम कार्बोनेट से धुलाया गया। पानी पड़ते ही हाथ लाल हो गया। आरोपी अधिकारी को पकड़ कर ले जाते समय रोडवेज परिसर में कुछ देर हंगामा भी हुआ , कर्मचारियों ने अपहरण होता समझ कर हो हल्ला किया लेकिन जब विजिलेंस के लोगों का पता चला तो मामला शांत हो गया। वैसे इस मामले में गिरफ्तार अधिकारी ने मीडिया से अपने को बेक़सूर बताते हुए साजिशन फंसाए जाने की बात कही। टीम आरोपी के साथ शहर कोतवाली पहुंची और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत रिपोर्ट पंजीकृत कराकर आरोपी को अपने साथ गोरखपुर ले गयी। टीम में कांस्टेबल मो. रफी, शैलेंद्र सिंह, शेषनाथ, शैलेंद्र राय शामिल थे।
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