आजमगढ़. विश्व स्वास्थ्य दिवस पर गुरुवार को जिला अस्पताल परिसर स्थित ब्लड बैंक में परिचर्चा का आयोजन किया गया। इसमें मधुमेय जैसी खतरनाक बीमारी के कारण, बचाव व डब्ल्यूएचओ द्वारा किये जा रहे प्रयास पर विस्तार से चर्च की गयी। चिकित्सकों ने मधुमेय के प्रति लोगों को जागरूक करने व अपनी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी का निष्ठापूर्वक निर्वहन करने का संकल्प लिया।
ब्लड प्रभारी डा. विनय यादव ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन वर्ष 1950 से लगातार मनुष्य में होने वाली शारीरिक एवं मानिसक व्याधियों के बारे में शोध कर प्रतिवर्ष एक विषय पर थीम देता है जो उस साल का सबसे ज्वलंत मुद्दा होता है। इसी थीम पर पूरे विश्व के सभी देश काम करते हैं।
लोगों को व्याधियों से बचाने, उसके उपचार व जागरूकता का प्रयास किया जाता है। डब्ल्यूएचओ के इस साल की थीम मधुमेय-रोक बढ़ाना, देखभाल करें, मजबूत करना और निगरानी बढ़ाना है। इस थीम पर तेजी से कार्य चल रहा है। उन्होंने कहा कि यदि आप रोगमुक्त रहना चाहते हैं तो समय-समय पर रक्त की जांच करायें। यह न सोचें कि रक्त जांच से कोई बीमारी निकल सकती है। रोग को जितना छिपाया जाय वह उतना ही खतरनाक बनता जाता है। एनेस्थेटिक डा. एजे उस्मानी ने कहा कि मधुमेय से पीडि़त लोगों को एनेस्थेसिया देने में सबसे बड़ी दिक्कत आती है।
इस रोग के लिए इन्सुलिन सबसे कारगर दवा है। डिप्टी डीटीओ डा. अख्तर हुसैन ने कहा कि सामान्य व्यक्ति की अपेक्षा डायबेटिक मरीजों में टीवी, एचआईवी आदि बीमारियों का खतरा कई गुना होता है। वरिष्ठ फीजिशियन डा. राजनाथ ने कहा कि यदि ब्लड जांच में फास्टिंग सूगर 110 से ऊपर है तो यह मान लेना चाहिए कि आप डायबटिक हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जिला अस्पताल के एसआईसी डा. बी. राम ने कार्यक्रम आयोजन के लिए ब्लड बैंक प्रभारी की सराहना की और कहा कि इस तरह के कार्यक्रम लगातार आयोजित होने चाहिए।
अंत में चिकित्सकों ने संकल्प लिया कि वे इस गंभीर बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करेंगे और अपनी सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारी को निष्ठापूर्वक निभायेंगे। इस मौके पर आरएन गिरी, संतोष यादव, चंदन सिंह, सावित्री मौर्य, मनोज, अशोक कुमार, संतोष मिश्रा सहित अस्पताल के चिकित्सक व कर्मचारी उपस्थित थे।

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