आजमगढ़. सगड़ी तहसील क्षेत्र के श्री रामानंद सरस्वती पुस्तकालय जोकहरा में रविवार को समारोह का आयोजन कर पिंक स्लिप डैडी के कथाकार व लेखक गीत चतुर्वेदी को कृष्ण प्रताप कथा सम्मान से सम्मानित किया गया। इस दौरान आयोजित गोष्ठी में हिंदी साहित्य के विकास पर चर्चा की गयी।
गीत चतुर्वेदी ने कहा कि लेखक मर कर भी जिंदा रहता है। लेखक जब मरते है तो वह एक किताब बन जाते है और किताब बनकर इसी तरह लाइब्रेरी में बने रहते हैं। भारत भारद्वाज ने कहा कि भारतेन्दु युग में हिन्दी ने नई चाल ली। इसका मतलब कि आधुनिक हिन्दी साहित्य का न केवल आरंभ हुआ बल्कि हिन्दी कविता जो मुख्यतः वृजभाषा केद्रित थी के बदले खड़ी बोली हिन्दी में कविता लिखने की शुरूआत हुई। यही नहीं इस युग में हिन्दी के अन्य गद्य विधाओं जैसे उपन्यास, नाटक समीक्षा लिखने की भी शुरूआत हुई। कहानी का आरंभ वस्तुतः द्विवेदी युग में हुआ। आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने अपने ग्रंथ हिन्दी साहित्य का इतिहास में आरंभिक कुछ कहानियांे का उल्लेख किया है लेकिन सचमुच कहानी का आरंभ सरस्वती के जून 1915 अंक में प्रकाशित चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की कहानी "उसने कहा था" से माना जाता है। इस कहानी के प्रकाशन के भी सौ साल पूरे हो गये हैं। गुलेरी जी प्रेमचंद, प्रसाद, निराला, यशपाल, उज्ञेय, अमृतलाल नागर, के बाद नई कहानी के दौर के प्रमुख कहानीकार रेणु, निर्मल वर्मा, भीष्म साहनी, अमरकांत, मोहन राकेश, कमलेश्वर, राजेन्द्र यादव तक आधी सदी की कथा यात्रा के अनेक प्रस्थान विदुं है। 1960 के बाद की कहानियों में बड़ा फर्क है न केवल भाषा और शिल्प के स्थल पर बल्कि यथार्थ के स्तर पर भी। यथार्थ हमारे जीवन का जैसे जैसे जटिल होता गया और चुनौती बढती गयी। ज्ञान रंजन काशीनाथ सिंह व रविन्द्र कालिया व दुधनाथ सिंह ने बदलते समय में हमारे जीवन यथार्थ के विडंबना विरूक्त और अंतरविरोध को सामने लाया।
प्रवीण शेखर ने कहा कि सौ वर्ष हिन्दी कहानी में शिल्प और कल्प दोनों ही स्तरों में एक सकारात्मक विकास देखता है। नये नये प्रयोग होने के साथ देश और काल कहानियां का विषय बन रहा है। हिन्दी कहानी में में तमाम तरह के तकनीकि है। इनका विकास धीरे धीरे हुआ है। रघुबंशमणि ने कहा कि हिन्दी साहित्य में प्रेमचंद के समय से आज तक विभिन्न प्रकार के आंदोलन हुए है। जिनसे गुजरकर हिन्दी कहानी आज अपना एक वैश्विक महत्व बना सका। 1915 में चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की प्रसिद्ध कहानी च्च्उसने कहा थाज्ज् का प्रकाशन हुआ था इसे प्रकाशित हुए 100 वर्ष हो गया। हिन्दी समाज में आते हुए परिवर्तन भी हिन्दी कहानी में परिलक्षित हुई है। आज हिन्दी कहानी में कहानी कार विभिन्न प्रकार के तकनीकों का अविष्कार कर रहे है। डा. संजय श्रीवास्तव ने कहा कि चन्द्रधर शर्मा गुलेरी की प्रसिद्ध कहानी "उसने कहा था" सौ साल पूरे हो रहे है। गुलेरी जी प्रेमचंद, प्रसाद जी, यशपाल, से लेकर नई कहानी आंदोलन और इस तरह के दुसरे भी कथा लेखन पर विस्तृत चर्चा होनी चाहिए। प्रेमचंद जी बाद रेणू जी हिन्दी के दूसरे बड़े लेखक हैं जिनकी कहानी जन साधारण तक प्रभाव दिखाती है। डा. निरज खरे ने कहा कि सम्मानित कथाकार गीत चतुर्वेदी हिन्दी कहानी की समकालिन युवा पीढी के ऐसे कथाकार हैं जिन्होंने कहानी के लंबे समय में नये प्रयोग किये। डा. प्रभाकर सिंह ने कहा कि 21वीं सदी के हिन्दी कहानी में युवा रचनाशीलता अपने विविध रंगी रचनादृष्टि के साथ उपस्थित नये अस्मिता मुलक विमर्शों के साथ भाषा और शिल्प में नया प्रयोग इस दौर के कहानी की प्रमुख विशेषता है।
जयप्रकाश धुमकेतु ने कहा कि हिन्दी कहानी की शुरूआत चन्द्रधर शर्मा की कहानी से माना जाता है प्रेमचंद ने हिन्दी कहानी को मानवीय मूल्यों सामाजिक सरोकारों से जोड़ते हुए हिन्दी कहानी को नया आयाम दिया। नई कहानी आंदोलन के साथ राजेन्द्र यादव निर्मलवर्मा, कमलेश्वर के साथ, अमरकांत, शेखरजोशी, मारकण्डेय ने कहानी को नये संदर्भ में आगे बढाया। विभूति नारायण राय पूर्व कुलपति व साहित्यकार ने अपने संबोधन में कहा कि 1915 में कहा था हिन्दी कहानी आधुनिक हुई और इसकी एक खास यात्रा प्रारंभ हुई। पिछले सौ वर्षं में ये कहानी ऐसे स्तर तक पहुंची है। जिसमें कहा जा सकता है कि उसके तुलना मे विश्व की समृद्धतम भाषाओं के कथा साहित्य से की जा सकती है। हिन्दी कहानी के विकास में बहुत सारे आंदोलनों और प्रवृत्तियों ने योगदान किया और अभी भी प्रयोग जारी है। पुस्तकालय की निदेशक हिना देसाई ने सबका स्वागत किया।
Blogger Comment
Facebook Comment