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आजमगढ़: अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर एकता दिवस पर जुलूस निकाल प्रदर्शन किया


मजदूर सभा आयोजित कर 15 बुनियादी मांगों का मांगपत्र सौंपा गया

आज '1 मई- अंतर्राष्ट्रीय मज़दूर एकता दिवस' के अवसर पर संयुक्त मज़दूर संगठन, उ. प्र. , इकाई आजमगढ़ के तत्वाधान में मजदूर सभा व जुलूस प्रदर्शन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में कई संगठनों- किसान संग्राम समिति, क्रांतिकारी किसान यूनियन, सामाजिक न्याय आंदोलन और जमीन-मकान बचाओ संयुक्त मोर्चा,खिरिया बाग और अखिल भारत प्रगतिशील छात्र मंच, आजमगढ़ से जुड़े जन नेताओं, साथियों और विभिन्न पेशों से जुड़े सैकडों की संख्या में मजदूरों ने व्यापक भागीदारी किया। मज़दूर दिवस सभा के बाद छात्रों, नौजवानों, मजदूरों, किसानों से संबंधित विभिन्न क्रांतिकारी नारे लगाते हुए जुलूस प्रदर्शन का आयोजन हुआ। अंत में मजदूरों की समस्याओं से जुड़े 15 बुनियादी मांगों का मांगपत्र जिलाधिकारी के माध्यम से महामहिम राष्ट्रपति को संबोधित करते हुए भेजा गया।
मज़दूर सभा में संयुक्त मज़दूर संगठन, उत्तर प्रदेश के महासचिव सत्यदेव पाल जी ने अलग अलग पेशों व कार्यक्षेत्रों से जुड़े मज़दूरों के संयुक्त संगठन की आवश्यकता पर बल देते हुए कहा कि संगठन के अभाव में विभिन्न क्षेत्रों के असंगठित मजदूरों की कोई भी आवाज सरकार तक नहीं पहुँच पाती है। उनकी व्यापक एकता न होने से आये दिन उनका भयंकर शोषण-उत्पीड़न होता रहता है। इसलिए हम संयुक्त मजदूर संगठन में सबको जोड़कर असंगठित क्षेत्र के सभी मजदूरों की व्यापक व जुझारू एकजुटता से अपनी मांगो पर समझौताहीन आन्दोलन चलाने का आहवान करते हैं। अंतरराष्ट्रीय मजदुर दिवस के महान लक्ष्यों यानी कि मजदूरों के सभी वाज़िब अधिकारों की मांग करते हुए शोषणविहीन - वर्गविहीन समाजव्यवस्था के निर्माण तक संघर्ष जारी रखने का संकल्प लेते हैं। सूबेदार यादव ने मज़दूर दिवस के क्रांतिकारी इतिहास पर जोर डालते हुए कहा कि 1मई 1886 को शिकागो के मजदूरों ने 8 घंटे काम, 8 घंटे आराम, 8 घंटे सामाजिक जीवन जीने के राजनीतिक मांग को लेकर शांतिपूर्ण तरीके से हड़ताल व प्रदर्शन का आयोजन किया था। उस वक्त पूंजीवादी व क्रूर राजसत्ता ने उन निहत्थे प्रदर्शनकारियों पर लाठी-गोलियां चलाया, बम फोड़ा जिससे मजदूरों का सफेद झंडा उनके खून से लाल हो गया तभी से आज तक मजदूरों के संघर्ष का झंडा लाल हो गया है। 1890 से हर साल दुनिया के मजदूर एक झंडे के नीचे एक होकर अपनी विभिन्न समस्याओं से जुड़े मांगो को हड़ताल-प्रदर्शन-सभा का आयोजन करते हुए अंततः सभी समस्याओं के जड़ मौजूदा पूंजीवादी-साम्राज्यवादी व्यवस्था को खत्म कर मजदुर वर्ग का वैज्ञानिक समाजवाद लाने के निर्णायक लड़ाई को और ज्यादा व्यापक व ठोस बनाने के लिए निरंतर संघर्ष करते आ रहे हैं।



इस कड़ी में साथी रामनयन यादव जी ने एयरपोर्ट विस्तारीकरण परियोजना के खिलाफ बिगत 929 दिनों से जारी खिरिया बाग आंदोलन के संघर्ष और उसकी मांगो को बताया कि किस तरह भूमिहीन गरीब मजदूर आबादी को सरकार कॉरपोरेट घरानों के मुनाफे के लिए उनके जमीन-मकान से उजाड़कर उनके जीवन को और ज्यादा असुरक्षित कर रही है। यह लड़ाई पूंजीपति घरानों के मुनाफ़े और मजदूरों-किसानों के जीवन अस्तित्व के बीच वर्ग संघर्ष का रूप है जिसे हम अंतिम जीत होने तक लगातार जारी रखेंगे। इसमे लड़ाई में अब तक 146 आन्दोलनकारी अपनी जान गंवा चुके हैं फिर भी हम लोग अपने अधिकारों के लिए बिना डरे लड़ते रहेंगे।



साथी रामकुमार यादव जी ने वर्तमान समय में मजदूर वर्ग के सभी प्रकार के समस्याओं पर प्रकाश डाला और उसके खिलाफ संगठनबद्ध होकर निर्णायक संघर्ष करने का आहवान किया। इस कड़ी में रामाश्रय यादव, राहुल विद्यार्थी, प्रशान्त यादव, अखिलेश ने भी सभा को संबोधित किया। ओमप्रकाश भारती और संदीप यादव ने क्रांतिकारी जनगीत पेश करते हुए सबको एकजुट होकर आन्दोलन करने का आहवान किया।



अध्यक्षीय भाषण में संयुक्त मजदूर संगठन के जिला संयोजक दुखहरन सत्यार्थी जी ने भारत सरकार के जनविरोधी और मजदूर विरोधी नीतियों पर हमला करते हुए कहा कि मुनाफाखोर व क्रूर पूंजीवाद-साम्राज्यवाद के सेवा के लिए लाए गए 'मज़दूर विरोधी चार लेबर कोड-2020' से देश के मजदूरों को अधिकारविहीन करते हुए बँधुआ मजदूर बनाने की कोशिश की गई है। इसके द्वारा यूनियन बनाने, सभा-हड़ताल-प्रदर्शन करने जैसे बुनियादी व जनवादी अधिकारों को साजिश के तहत छिनने का काम किया गया है। मई दिवस के क्रांतिकारी संघर्ष से हासिल 8 घंटे के काम के अधिकार को खत्म करके सरकार ने 12 से 18 काम लेने का अधिकार अपने मालिक पूंजीपतियों को दे दिया है। ऐसे में जरूरत है अंतरराष्ट्रीय मजदूर एकता दिवस के क्रांतिकारी संघर्ष से सीख लेते हुए 'संयुक्त मजदूर संगठन' में अपनी व्यापक व जुझारू एकता द्वारा हम अपने सभी बुनियादी अधिकारों व सामाजिक-आर्थिक-राजनीतिक सुरक्षा के लिए लड़ते हुए अंततः वर्तमान शोषणकारी पूंजीवादी-सम्राज्यवादी व्यवस्था को उखाड़कर मज़दूर क्रांति के द्वारा मज़दूर राज यानी वैज्ञानिक समाजवाद लाने के संघर्ष में उतरना होगा तभी जाकर समाज में सभी प्रकार के शोषण उत्पीड़न का खात्मा सम्भव है। हम मज़दूरों का समाजवादी राज स्थापित करने के इसी क्रांतिकारी उद्देश्य को लेकर अपने संगठन द्वारा सबको एकजुट करते हुए निरन्तर संघर्ष करने का संकल्प दोहराते हैं। कार्यक्रम का संचालन तेजबहादुर ने किया।
सभा के बाद इन्कलाब जिंदाबाद, पूंजीवाद-साम्राज्यवाद मुर्दाबाद, अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस जिंदाबाद, शिकागों के अमर शहीदों को लाल सलाम, दुनिया के मजदूरों एक हो, जाति-धर्म में नहीं बटेंगे- मिलजुलकर संघर्ष करेंगे, मज़दूर विरोधी 4 लेबर कोड रद्द करो, निजीकरण बन्द करो, ठेका प्रथा बन्द करो, सभी सार्वजनिक उद्योगों-संपत्तियों का राष्ट्रीयकरण करो, हर हाथ को काम दो- आवश्यकतानुसार दाम, सबको स्थाई रोजगार की गारन्टी करो, जीवन निर्वाह लायक मजदूरी की गारन्टी करो आदि क्रांतिकारी नारों को उत्साह से लगाते हुए जुलूस अंबेडकर पार्क से निकलकर भगत सिंह मूर्ति, रैदोपुर , फिर गाँधी तिराहा होते हुए कलेक्ट्रेट भवन पर महामहिम राष्ट्रपति जी को संबोधित 15 सूत्रीय मांगपत्र को जिलाधिकारी आजमगढ़ को सौंपकर कार्यक्रम समाप्त हुआ।
इस कार्यक्रम में फूलमती, हरिहर, अवधेश , रामचरन, निर्मल प्रधान, नंदलाल, किशमती, नामी चिरैयाकोटी, बिरजू, रविकांत, पिंटू, सौरभ, आनंद, इंद्रेश, नारायन, प्रभु यादव, संदीप, लालबिहारी, हरिहर, एड. रवींद्र कुमार
सहित सैकड़ों मजदूर शामिल रहें।

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