सीएम योगी ने 04 अगस्त 2022 को की थी स्थापना की घोषणा
दो एकड़ जमीन में 21 करोड़, 79 लाख रुपये से हो रहा निर्माण
आजमगढ़ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने चार अगस्त 2022 को संगीत का गुरुकुल कहे जाने वाले शहर से सटे हरिहरपुर गांव में संगीत महाविद्यालय की नींव रखे जाने की घोषणा की थी। दो एकड़ जमीन में 21 करोड़, 79 लाख रुपये से बनने वाले हरिहरपुर संगीत महाविद्यालय के लिए सोमवार को यूपी सरकार के बजट में 11 करोड़, 79 करोड़ रुपये की व्यवस्था प्रस्तावित की गई है। बटज में इस प्रविधान से साफ है कि मुख्यमंत्री का सांस्कृतिक धरोहर गीत और संगीत के प्रति कितना लगाव है। संगीत महाविद्यालय का निर्माण पूरा हो जाने के बाद संगीत साधना को एक बेहतर मुकाम मिलेगा। काशी से करीब 106 किमी और जिला मुख्यालय से छह किमी उत्तर स्थित पांच हजार की आबादी वाला गांव हरिहरपुर घराना के रूप में विख्यात है। पद्मविभूषण पंडित छन्नू लाल मिश्र के इस पैतृक गांव में जाति-धर्म से ऊपर उठकर संगीत साधना करने की ललक है। यहां सुबह-शाम सारंगी-तबले की जुगलबंदी के बीच घर-घर से निकलने वाले सुर मंत्रमुग्ध कर देते हैं। वहीं बात करें हरिहरपुर संगीत घराने की यह विख्यात हुआ प्रयागराज के हंडिया निवासी ब्राह्मण दो सगे भाई पंडित हरिनाम दास व सरिनाम दास गीत-संगीत की कद्र किए जाने की जानकारी मात्र होने पर घर-बार छोड़ हरिहर गांव में आकर बस गए। उसका फल भी मिला, जब आजमगढ़ को बसाने वाले आजम शाह के पूर्वजों ने संगीत कला से खुश होकर 989 बीघा जमीन दान में दी थी। दोनों भाई गायन-वादन में निपुण लेकिन सरिनाम के ब्रह्मचर्य होने से हरिनाम का कुनबा बढ़ता गया। ग्रामीण भी गीत-संगीत के कद्रदान थे, लिहाजा गांव की पहचान कब घराना बन गई पता ही नहीं चला। ब्राह्मण परिवार ने कजरी, ठुमरी, दादरा, होली गीतों को गायन-वादन को सुरों की माला में ऐसे पिरोया कि समूचा गांव संगीत का गुरुकुल बन गया। इसी हरिहरपुर गांव की मिट्टी में जन्मे पद्मविभूषण पंडित छन्नूलाल मिश्र की विश्व पटल पर पहचान है। इनके अलावा राष्ट्रपति अवार्डी पंडित योगेश मिश्र, वीरेंद्र मिश्र, उदय शंकर मिश्र, दुर्गेश मिश्र, हृदय नारायण मिश्र, त्रिपुरारी मिश्र, मोहन मिश्र व शीतला प्रसाद मिश्र, पंकज मिश्र आदि ने अलग-अलग विधाओं में गीत-संगीत को देश में नई ऊंचाइयां दीं। इस गांव की कई विभूतियां उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र के सदस्य हैं। बहुतेरे राष्ट्रीय युवा महोत्सव में गोल्ड मेडल जीतते रहे हैं। ‘हरिहरपुर संगीत घराना' के नाम से प्रसिद्ध इस गांव में ब्राह्मण परिवार में बच्चे को पढ़ाई के साथ ही घर में ही संगीत की शिक्षा दी जाती है। बच्चे के पिता और दादा से मिलती यह शिक्षा आगे चलकर गांव का नाम रोशन करती है। सुर-ताल की नर्सरी कहे जाने वाले इस गांव की आबादी करीब पांच हजार है। फिलहाल हरिहरपुर संगीत अकादमी में 60 बच्चे गीत-संगीत सीख रहे हैं। विभूतियां इतनी कि गिना नहीं पाएंगे। हमारे गांव के पं.रामदास मिश्रा, पं.नौरतन मिश्रा,पं. गिरजा मिश्रा, पंडित गुरु सहाय मिश्रा, पंडित बुलबुल महाराज, पंडित राम अधार मिश्रा, पंडित श्यामलाल मिश्रा उर्फ जोखू मिश्रा, प्रो.मनोज मिश्रा इत्यादि की हुनर ही इनकी पहचान है। 1995 से हो रहा यहां तीन दिवसीय कजरी महोत्सव लोकप्रिय है। पंडित छन्नू लाल मिश्र भी शामिल हुए हैं, तो जनप्रतिनिधि, अधिकारियों को महोत्सव का इंतजार रहता है। यूं तो निर्गुण गीत मसाने में खेलें होली दिगंबर, मसाने में खेलें होली पर तो छन्नूलाल मिश्र का एकाधिकार है, लेकिन यहां के दूसरे कलाकारों की भी कजरी, ठुमरी, दादरा, चैता, शास्त्रीय संगीत पर मजबूत पकड़ है। खास बात है कि युवाओं के आगे आने से ‘हरिहरपुर संगीत घराना’ सुर्खियों में है। हरिहरपुर संगीत घराना संस्था अध्यक्ष व सारेगामापा के कोआर्डिनेटर पंडित अजय मिश्र कहते हैं कि संगीत साधना में हमारी कई पीढ़ियां खप गईं। पंडित छन्नू लाल मिश्र के अलावा पंडित बिरजू महराज भी हमारे ही खानदान से हैं। गांव की युवा पीढ़ी पूर्वंजों की विरासत को निस्वार्थ संभाले है, जिसका परिणाम महाविद्यालय के रूप में अब मिला है।
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