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आजमगढ़: अयोध्या में 'मेरे राम जी आए' का सफल मंचन कर लौटी हुनर संस्थान की टीम



कर्म प्रधान विश्व रचि राखा। जो जस करहि सो तस फल चाखा।। सकल पदारथ हैं जग मांही। कर्महीन नर पावत नाहीं।।

भावार्थ ⦂ तुलसीदास जी कहते हैं कि यह विश्व, यह जगत कर्म प्रधान है। जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसा ही फल प्राप्त होता है। मनुष्य का जीवन उसके कर्मों से ही निर्धारित होता है। यूँ तो इस जगत ने अनेकों पदार्थ हैं और इस संसार में किसी पदार्थ की कोई कमी नही है, कर्महीन मनुष्य के लिए कुछ भी उपलब्ध नही है। इस संसार में कुछ भी पाने के लिए पहले उद्यम रूपी कर्म करना पड़ेगा तभी कुछ प्राप्त हो सकता है।होइहे सोइ जो राम रचि राखा। हुनर के कलाकारों क़ी मेहनत अब रंग ला रही। मन में सिर्फ एक लगन थी कि प्रभु राम क़ी जन्मस्थली पर रामलीला का मंचन करना। इसी उद्देश्य से संस्थान के कलाकारों ने विगत 1 वर्ष पहले से ही तैयारी शुरू कर दी थी और देश के विभिन्न हिस्सों में अपनी रामलीला की प्रस्तुति का मंचन कर उसे धार देते रहे और जब अयोध्या में राम जन्मभूमि पर भगवान श्री राम के भव्य मंदिर का उद्घाटन हुआ है तो इस अवसर पर उत्तर मध्य सांस्कृतिक क्षेत्र इलाहाबाद के संयोजन में ईस्ट जोन कल्चरल सेंटर कोलकाता द्वारा संस्थान के कलाकारों को रामलीला" मेरे राम जी आये " का मंचन करने आमंत्रण मिला तो सभी कलाकारों को लगा कि मानो जीवन धन्य हो गया और यह अवसर मिला तों वे दुगने उत्साह के साथ सभी कलाकार मंचन की तैयारी में लग गएथे । इस प्रस्तुति में कुल 18 सदस्यो नें 23 जनवरी से 27 जनवरी तक अयोध्या रामोत्सव में तुलसी उद्यान मंच, राम कथा मंच पर चार दिनों तक लगातार अपनी रामलीला का मंचन देश भर के कलाकारों के साथ किया।
इस नृत्य नाटिका में मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम से जुड़े कुछ विशेष प्रसंग पर प्रस्तुति की गई। इस प्रस्तुति की सराहना रामायण के राम श्री अरुण गोविल नें भी किया था था ।उन्होंने कहा था की रामायण का चरित्र निभाना एक कठिन कार्य होता है।लेकिन इस रामलीला के पात्र मानो ऐसा लग रहा था कि जैसे प्रभु के चरित्र में स्वयं उतर आए हो और एक-एक कलाकार अपने दिए गए चरित्र के साथ पूरी तरह से न्याय कर रहा है। मेरे राम जी आए नृत्य नाटिका की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि 40 मिनट के अंदर की इस प्रस्तुति मे कहीं भी ऐसा नहीं लगेगा की रामलीला हमने नहीं देखी। श्री राम जन्म व वन गमन से लेकर, सीता हरण, राम रावण युद्ध के साथ राम जी के अयोध्या आगमन को बखूबी दिखाया गया। संस्थान के सचिव और वरिष्ठ रंगकर्मी में सुनील दत्त विश्वकर्मा ने बताया कि बताया की देश के विभिन्न हिस्सों में प्रस्तुति को किया जा चुका है। गिरिडीह व धनबाद झारखंड में आयोजित अखिल भारतीय नाटक एवं लोक नृत्य प्रतियोगिता मे लोक नाट्य मे इस प्रस्तुति को प्रथम पुरस्कार व सर्वश्रेष्ठ निर्देशक का पुरस्कार मिल चुका है।वही कटक उड़ीसा में विशेष मंचन के लिए आमंत्रित किया गया। आजमगढ़ महोत्सव, रामायण कांक्लेव, आरंगम,श्रीराम नृत्यओत्सव के साथ-साथ मऊ जनपद की स्थापना दिवस समारोह में भी इस प्रस्तुति को किया जा चुका है अयोध्या में सफल प्रस्तुति करने के पश्चात जनपद वापसी पर सभी कलाकारों को अजेंद्र राय, डॉक्टर पीयूष सिंह याद,व राजेंद्र प्रसाद यादव रमाकांत वर्मा, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व आजाद भगत सिंह, मनीष रतन अग्रवाल, गौरव अग्रवाल, सीताराम पांडे, अभिषेक जायसवाल दीनू नें बधाई व शुभकामनाएं दी । इस नृत्य नाटिका में काजल सिंह,करिश्मा सिंह, रिमझिम प्रजापति, कामिनी प्रजापति, आस्था दुबे, कशिश गुप्ता, कमलेश सोनकर, कारण सोनकर,इंद्रजीत निषाद , राज पासवान, खुशी खरवार, अनुराधा राय, विकास सोनकर, सोनल सिंह, प्रवेश सरोज शामिल हैं।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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