दुनिया में भारत ही ऐसा देश जिसे यहां के लोग अपनी माता के रूप में पूजते - डा. विनोद,वरिष्ठ वैज्ञानिक, बीएचयू
आजमगढ़: जहानागंज क्षेत्र के धनहुंआ स्थित एसकेडी विद्या मन्दिर एवं एसकेडी इण्टर कॉलेज पर मंगलवार को स्वतंत्रता दिवस काफी धूमधाम से मनाया गया। राष्ट्रप्रेम के रंग में रंगें विद्यालय के छात्र/छात्राओं ने गायन, नाटक, भाषण आदि के माध्यम से अपनी भावनाओं को दर्शाया जिसे उपस्थित लोगों ने काफी सराहा। कार्यक्रम की शुरूआत बीएचयू के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा. विनोद कुमार तिवारी द्वारा झण्डारोहण से हुई। इसके पश्चात मां भारती के चरणों में अपने प्राण की आहुति देने वाले आजादी के रणबाकुंरों के चित्र पर माल्यार्पण हुआ। वाग्देवी मां सरस्वती के पूजन के उपरान्त सांस्कृतिक कार्यक्रम का जो दौर चला वह काफी देर तक लोगों को देश प्रेम की भावना से ओत-प्रोत किये रहा। अपने संबोधन में श्री तिवारी ने कहा कि दुनिया में भारत ही ऐसा देश जिसे यहां के लोग अपनी माता के रूप में पूजते हैं। और इसकी बनावट भी ऐसी है। हिमालय इसका मुकुट है। हिन्द महासागर पांव पखारता है। आजादी के बाद भी देश के समक्ष बहुत सी चुनौतियां थी जिसका सभी क्षेत्र के लोगों ने दृढ़ संकल्प से सामना किया। ग्रामीण क्षेत्र में देश की माटी के प्रति प्रेम, कला संस्कृति के साथ गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध करा रहे विद्यालय उन्होनेंं मुक्त कंठ से सराहना किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम में कक्षा नर्सरी से दिव्यांशी ग्रुप द्वारा नन्हा मुन्हां राही हूं काफी सराहा गया। एलकेजी के बच्चों द्वारा इंडिया वाले की प्रस्तुति के अलावां वैष्नवी सिंह, पायल, श्रीजा, आंचल, सुहाना, अक्षिती, युग, रूद्र, अन्वेष, उदयप्रताप, आदि की प्रस्तुति काफी सराहनीय रही। धन्यवाद ज्ञापन विद्यालय के प्रधानाचार्य रामजी चौहान द्वारा दिया गया। एसकेडी इण्टर कॉलेज पर ध्वजारोहण विद्यालय के संस्थापक विजय बहादुर सिंह द्वारा संपन्न हुआ। अपने उद्बोधन में श्री सिंह ने कहा कि एक लंबे कालखण्ड तक गुलामी की जंजीर में बधें रहने के बाद जब 15 अगस्त 1947 को देश आजाद हुआ उस समय जश्न मनाने के लिए लोगों के पास मन तो था लेकिन धन नहीं। अंग्रेज बुरी तरह देश को लूट चुके थे। गरीबी, अशिक्षा, अनेक तरह की सामाजिक बुराइयां मुंह बाये खड़ी थी। धीरे धीरे देश इन चीजों पर काबू पाते हुए आज विश्वगुरू बनने की राह पर खड़ा है। किसी भी वैश्विक मंच पर भारत का पक्ष काफी मजबूत रहता है। सांस्कृतिक कार्यक्रम में महक, निधि, सृजल, विशेषता, श्रद्धा, हिमांशू, कृश, सार्थक आदि की प्रस्तुति काफी सराहनीय रही। विद्यालय के व्यवस्थापक श्रीकान्त सिंह द्वारा कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए सभी उपस्थित लोगों को धन्यवाद दिया गया।
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