कजरी हमारी पारंपरिक लोक संस्कृति है इसको संरक्षित कर नई पीढ़ी तक पंहुचाएं - सीडीओ
आजमगढ़: स्वावलंबी सेवा संस्थान आजमगढ़ द्वारा हर वर्ष की बात इस वर्ष भी आजमगढ़ कजरी महोत्सव का आयोजन श्री अग्रसेन महिला महाविद्यालय आजमगढ़ के प्रांगण में संपन्न हुआ। कजरी महोत्सव का उद्घाटन समाजसेवी विवेक अग्रवाल, गोविंद दुबे, अलंकार सिंह कौशिक, उमेश राठौर,अरुण सिंह अनाड़ी, वरिष्ठ रंगकर्मी सुनील दत्त विश्वकर्मा ने दीप प्रज्वलन कर एवं मां सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर किया त्पश्चात आए हुए सभी अतिथियों का स्वागत गुड्डू राय, रजनीश विश्वकर्मा, उमेश राठौर, शाह आलम सांवरिया, रवि श्रीवास्तव ने बुके प्रदान कर किया। कजरी महोत्सव की शुरुआत देवा श्री गणेश गणेश वंदना की स्तुति के साथ हुनर संस्थान आजमगढ़ के कलाकारों ने किया। गणेश वंदना की भावभीनी प्रस्तुति ने सभी का मन मोह लिया। कजरी महोत्सव में पूर्वांचल के लगभग 100 से ऊपर कलाकारों ने प्रतिभाग किया। महोत्सव में बरखा मिश्रा ने," तू तो गजब कइला श्याम ", चंदा सरगम ने वीरेन भैया आवे चाहे जाए हो सवनवा में ना जाइबो नन्दो ", विकास सिंह ने " सावन साजन को संग लेकर आना सावन में", रोशनी गोंड, कंचन भारद्वाज, प्रियंका शर्मा , करीम भाई, अमरजीत यादव छोटू, वीरेंद्र गुप्ता,राजेश कुमार,तुषार राज सिंह, पूजा सहित आए हुए समस्त कलाकारों ने अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां दी। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में पधारे श्रीप्रकाश गुप्ता मुख्य विकास अधिकारी आजमगढ़ ने कलाकारों को संबोधित करते हुए कहा कि कजरी हमारी पारंपरिक लोक संस्कृति है। इसको संरक्षित कर नई पीढ़ी के सामने रखना होगा। ताकि हमारी सभ्यता और संस्कृति का मूल लोग जान सके। कजरी का महीना और सावन एक दूसरे के पूरक है। प्रकृति प्रेम का सबसे बड़ा उदाहरण यह माह होता है। समारोह को सफल बनाने में केपी सावला, शिखा रावत, अमित खरवार, अशोक विश्वकर्मा, विपिन पांडे आदि सभी पदाधिकारी लगे रहे। संचालन सुनील दत्त विश्वकर्मा व उमेश सिंह राठौड़ ने संयुक्त रूप से किया।
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