इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में रसायन वैज्ञानिक हैं पांती खुर्द निवासी सोनू
आजमगढ़: जिले के पांती खुर्द गांव निवासी सोनू यादव ने भी चंद्रयान 3 अभियान में वैज्ञानिक के तौर पर महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। सोनू यादव वर्तमान में इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र के गुणत्ता प्रभाग नोदक एवं रसायन में वैज्ञानिक पद पर कार्यरत हैं I चंद्रयान-3 मिशन के प्रक्षेपण में उनकी भूमिका यान पर लगे बहुलक ( पॉलीमर उत्पाद) और नोदक की गुणवत्ता सुनिश्चित करने की रही । LVM-3 M4 प्रक्षेपण यान जो चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन और लैंडर मोडुल को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने के लिए इस्तेमाल हुई प्रज्वलन प्रणाली, तापीय संरक्षण प्रणाली और अन्य प्रणाली जो प्रक्षेपण यान में उपयोग होती हैं, उसमें भी महत्वपूर्ण योगदान रहा हैI लैंडर जो अभी चंद्रमा की सतह पे काम कर रहा है उसमे लगे एक उपकरण Chandra’s Surface Thermo physical Experiment (ChaSTE -चेस्ट) की पूरी गुणवता की प्रमाणिकता उनके द्वारा सुनिश्चित की गई है I इस उपकरण का कार्य ध्रुवीय क्षेत्र के निकट चंद्र सतह के तापीय गुणों का मापन करना है। साथ ही लैंडर के अन्य उपकरण Radio Anatomy of Moon Bound Hypersensitive ionosphere and Atmosphere (RAMBHA रंभा) में प्रयोग होने वाले कुछ बहुलक पदार्थो में भी सोनू यादव योगदान रहा है यह उपकरण चन्द्रमा की निकट सतह प्लाज्मा (आयनों और इलेक्ट्रॉनों) के घनत्व और समय के साथ इसके परिवर्तनों को मापने के लिए उपयोग हो रहा है । जिले के बिलरियागंज क्षेत्र के ग्राम पांती ख़ुर्द का रहने वाले हैं, उनके पिता वीरेन्द्र यादव 505 आर्मी बेस वर्कशॉप में कार्यरत हैं और माता श्रीमती सुदामी देवी गृहणी हैं I सोनू की पत्नी संध्या यादव स्टाफ नर्स हैं और उनका एक डेढ़ साल का पुत्र आयुष्मान है I सोनू की प्रारंभिक शिक्षा गांव के पास के एक विद्यालय आर एन पब्लिक स्कूल में हुई और उसके पश्चात् मैट्रिकुलेशन दिल्ली के रघुबीर सिंह विद्यालय से किया । उन्होंने गुरुनानक देव पॉलिटेक्निक में केमिकल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा हासिल किया फिर एआईटीएच, कानपूर से अपने केमिकल इंजीनियरिंग में बीटेक की डिग्री हासिल की I उसके पश्चात् पोस्ट ग्रेजुएशन के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुड़की केमिकल इंजीनियरिंग प्रभाग में दाखिला लिया यह पहले सेमेस्टर में ही उनका चयन भारतीय मानक ब्यूरो में होने के वजह से उन्हें कोर्स छोड़ना पड़ा। फिर इसरो में इनका चयन इसरो के विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र में वैज्ञानिक के पद पर जुलाई 2018 में हुआ और तबसे वो इसी केंद्र में कार्यरत है ।
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