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आजमगढ़: राष्ट्रीय लोक अदालत में 54623 वादों का निस्तारण किया गया



लोक अदालत आम आदमी के लिए एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र है -न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी

आजमगढ़: जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में दिनांक शनिवार को प्रातः 10.30 बजे से जनपद न्यायालय परिसर में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी प्रशासनिक जज, जनपद आजमगढ़ की अध्यक्षता में एवं जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ जितेन्द्र कुमार सिंह व समस्त सम्मानित न्यायिक अधिकारीगण, बैक पदाधिकारीगण की उपस्थिति में राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारम्भ किया गया। न्यायमूर्ति द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीपार्चन एवं पुष्पार्चन किया गया तत्क्रम में जनपद न्यायाधीश एवं न्यायिक अधिकारीगण द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीपार्चन एवं पुष्पार्चन किया गया। न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी प्रशासनिक जज ने कहा कि लोक अदालत आम आदमी के लिए उपलब्ध एक महत्वपूर्ण वैकल्पिक विवाद समाधान तंत्र है। यह एक मंच है जहाँ अदालत में लम्बित विवादों या ऐसे मामले जो अदालत तक पहुँचे नहीं है को सौहार्दपूर्ण ढंग से सुलझाया जाता है। कानूनी सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत लोक अदालत द्वारा किए गए अवार्ड को सिविल अदालत की डिक्री समझा जाता है और यह अंतिम और सभी दलों पर बाध्यकारी है तथा इसके खिलाफ किसी भी अदालत के समक्ष अपील वर्जित है। जनपद न्यायाधीश ने लोक अदालत की उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यह एक ऐसा माध्यम है जिसमें किसी पक्ष की हार नहीं होती और सिविल मामलों में कोर्ट फीस भी सम्बन्धित पक्ष को वापस हो जाती है। इस अवसर पर न्यायमूर्ति द्वारा जनपद न्यायालय, आजमगढ़ में स्थापित लीगल एड डिफेन्स काउन्सिल सिस्टम का लोकार्पण किया गया एवं न्यायालय में स्थापित 06 कक्षीय भवन में पौधरोपण किया गया। न्यायमूर्ति द्वारा शिब्ली नेशनल पी0जी0 कालेज, आजमगढ़ में स्थापित लीगल एड क्लीनिक का भी लोकार्पण किया गया।

जनपद न्यायाधीश / अध्यक्ष, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, आजमगढ़ द्वारा कुल 06 वादों का निस्तारण किया गया। श्री अशोक कुमार - VII प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय द्वारा 41 वादों का, श्रीमती पारूल अत्री, अपर प्रधान न्यायाधीश, पारिवारिक न्यायालय संख्या-02 द्वारा 37 वादों का एवं श्री शेषबहादुर निषाद, अपर प्रधान न्यायाधीश पारिवारिक न्यायालय संख्या-01 द्वारा 45 वादों सहित कुल 123 वादों का पारिवारिक न्यायालय द्वारा निस्तारण किया गया। न्यायालय मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण से कुल 47 वादों का निस्तारण किया गया। श्री बी०डी० भारती, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश द्वारा कुल 03 वादों का, श्री सतीश चन्द्र द्विवेदी, विशेष न्यायाधीश (एस०सी० / एस०टी) एक्ट द्वारा कुल 13 वादों का श्री ओमप्रकाश वर्मा तृतीय, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / नोडल अधिकारी राष्ट्रीय लोक अदालत द्वारा कुल 02 वादों का, श्री राम नरायन अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश, ई०सी एक्ट द्वारा कुल 57 वादों का श्री रवीश कुमार अत्री अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश / विशेष न्यायाधीश, पाक्सो एक्ट द्वारा कुल 05 वादों का, श्री सौरभ सक्सेना, अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय द्वारा कुल 03 वादों का निस्तारण किया गया। पारिवारिक न्यायालय द्वारा अलग रह रहे दम्पत्तियों के वादों का निस्तारण कराकर उनको एक साथ रहने का तथा दम्पत्तियों को आशीर्वाद देकर व माला पहनाकर विदा किया गया। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट द्वारा कुल 272 वादों का निस्तारण किया गया तथा 203500.00 रू0 की धनराशि का अर्थदण्ड आरोपित किया गया।
इसके साथ ही राष्ट्रीय लोक अदालत में विभिन्न बैंकों तथा बी.एस.एन.एल. द्वारा भी स्टाल लगाकर प्री-लिटिगेशन के 1152 वादों का तथा जिला प्रशासन द्वारा प्रीलिटिगेशन स्तर पर 45510 वादों का निस्तारण किया गया। इस प्रकार इस राष्ट्रीय लोक अदालत में कुल 77162 वादों में से 54623 वादों का निस्तारण किया गया।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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