शाम तक होती रही खरीदारी, ब्यूटी पार्लर भी रहे गुलजार
चंद्रोदय के बाद पति के हाथों पानी पीकर किया पारण
आजमगढ़ : दीपक मेरे सुहाग का जलता रहे, चांद बनकर आसमां से निकलता रहे। इसी कामना के साथ गुरुवार को महिलाओं ने करवा चौथ का व्रत रखा और शिव-पार्वती संग विघ्न विनाशक गणेश की पूजा कर अपने सुहाग को अमरता प्रदान करने का आशीर्वाद मांगा। उसके बाद चंद्र का दर्शन और अर्घ्यदान कर दांपत्य जीवन में शांति व शीतलता बनाए रहने की प्रार्थना की। इसे लेकर चौक क्षेत्र में चहल-पहल ज्यादा दिखीं। महिलाएं सुबह से ही खरीदारी करते हुए दिखीं। वहीं ब्यूटी पार्लर भी गुलजार रहे। सुबह से व्रत की तैयारी में महिलाएं लगी रहीं। कहीं चावल के घोल तो कहीं गेरू से दीवार पर पेड़ और उसके ऊपर चंद्रमा के साथ महिला-पुरुष की आकृतियां बनाई गईं, कहीं बाजार में बिकने वाले चित्र से काम चलाया गया। तरह-तरह के मीठे पकवान खासतौर से पुआ और गुलगुला बनाया गया और शाम होने के साथ चंद्रमा के उदय होने की प्रतीक्षा शुरू हो गई। दीवार पर बनी आकृति के समक्ष बैठकर करवा में व्यंजन रखकर पूजा की गई। इसमें कहीं शिव-पार्वती तो कहीं साथ में गणेश जी की भी आराधना की गई। इस व्रत पर्व को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इसमें एक कथा में कहा गया है कि सात भाइयों ने अपनी इकलौती बहन को भूखे-प्यासे देख चलनी में दीपक रख दूर पेड़ पर चढ़कर कृत्रिम चांद का दर्शन करा दिया। दर्शन और अर्घ्य दान के बाद बहन ने पारण कर लिया, लेकिन उसके बाद उसका पति काफी बीमार हो गया।अगले साल जब बहन ने विधि-विधान से व्रत व पूजन किया तो उसका पति रोग मुक्त हो गया। एक कथा अर्जुन व द्रोपदी से जुड़ी है जिसमें कहा जाता है कि अर्जुन कील पर्वत पर चले गए, तो द्रोपदी परेशान हो गईं कि अब किसी मुसीबत के आने पर क्या होगा। द्रोपदी ने भगवान कृष्ण का आह्वान किया। कृष्ण ने बताया कि करवा चौथ का व्रत रखने से कोई मुसीबत नहीं आएगी। द्रोपदी ने भी कृष्ण के कहने पर इस व्रत को किया था। इन्हीं परंपराओं के तहत गुरुवार को सुहागिन महिलाओं ने सुबह से व्रत रखा और रात्रि में पूजन और चंद्र दर्शन के बाद पारण किया।
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