प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह एवं सांसद रवि किशन पार्टी प्रत्याशी संग मौजूद रहेंगे
आजमगढ़ : आजमगढ़ सदर संसदीय सीट के लिए होने जा रहे उपचुनाव में नामांकन के दिन ही छह जून सोमवार को भाजपा पूरा दमखम दिखाएगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह एवं गोरखपुर के सांसद रवि किशन पार्टी प्रत्याशी दिनेश लाल यादव के साथ मौजूद रहेंगे। उधर भोजपुरी फिल्म इंडस्ट्री के मेगा स्टार पवन सिंह, आम्रपाली दुबे के अलावा निरहुआ के भाई प्रवेश लाल यादव भी मौजूद रहेंगे। भाजपा लालगंज के जिलाध्यक्ष ऋषिकांत राय ने बताया कि दिन में 11 बजे का समय दिया गया है। संगठन की ओर से तैयारी पूरी है। दिनेश लाल यादव के प्रमुख सहयोगी संतोष श्रीवास्तव ने बताया कि बिन्नानी गार्डेन से नामांकन दाखिल करने के लिए निकलेंगे। उसके बाद शहर में रोड शो का कार्यक्रम है। संसदीय उपचुनाव में भाजपा ने भोजपुरी सिने कलाकार दिनेश लाल यादव ‘निरहुआ’ को मैदान में उतार दिया है। बसपा पहले से ही शाह आलम उर्फ गुड्डू जमाली को उतार किलेबंदी मजबूत की है। ऐसे में सपा का मोहरा सामने आने का चुनावी चाणक्यों को इंतजार है। दरअसल, सपा-बसपा के गढ़ में सभी प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों के सामने आने के बाद ही सियासी जंग की असली तासीर का अनुमान लगाया जा सकता है। टिकट घोषित होने के बाद दिनेश लाल यादव ने कहा कि मैं अब आजमगढ़ के विकास का अपना उद्देश्य पूरा कर पाऊंगा। वर्ष 2019 में भाजपा ने दिनेश लाल यादव को सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव के खिलाफ चुनाव में उतारा था। उस समय सपा-बसपा के एक साथ होने के कारण दिनेश लाल यादव भाजपा के लिए रिकार्ड 3,61,704 मत पाकर भी चुनाव हार गए थे। जबकि वर्ष 2014 में मुलायम सिंह यादव आजमगढ़ से लड़े तो 3,40,306 मत पाए थे, जिससे 21398 हजार ज्यादा मत हासिल कर निरहुआ ने एक नई लाइन खींची थी। संभवत: यही वजह रही कि निरहुआ को फिर से पार्टी ने मैदान में उतारा है। चूंकि बसपा भी पूरी ताकत झोंके पड़ी है, इसलिए राह किसी के लिए आसान नहीं होगा। हालांकि, मुलायम सिंह यादव के खिलाफ ही चुनाव में बसपा प्रत्याशी रहे शाह आलम गुड्डू जमाली 2,66,528 मत पाए थे। सपा भी दिग्ग्ज नेता रहे बलिहारी बाबू के पुत्र सुशील आनंद को चुनाव लड़ाने का संकेत दे चुकी है। उसी भरोसे पर उन्होंने दो सेट पर्चा भी ले लिया है। मीडिया में उनके उम्मीदवार होेने की खबर सुर्खियां भी बनीं, लेकिन पार्टी ने अधिकृत घोषणा नहीं की। ऐसे में सुशील या फिर किसी अन्य के नाम पर मुहर लगे, तो चुनाव की असली तस्वीर सामने आ पाएगी।
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