पूजा-अनुष्ठान के बाद लोग चल पड़े बाजार, सराफा कारोबारी रहे व्यस्त
आजमगढ़ : अक्षय तृतीया यानी इस दिन किए जाने वाले कार्य का कभी क्षय नहीं होता। वह चाहे पूजा हो अथवा दान या फिर किसी चीज का संग्रह। साथ में इस तिथि को मंगलवार मिल जाए, तो सब मंगल ही मंगल होना तय हो जाता है। कुछ इसी सोच के साथ मंगलवार को लोगों ने इस पर्व को अपने-अपने ढंग से मनाया। सुबह स्नान-ध्यान के बाद लोगों ने भगवान विष्णु और लक्ष्मी की पूजा की। उसके बाद अपने सामर्थ्य के अनुसार ब्राह्मणों को दान किया। फिर मंदिरों में पहुंचकर पूजा-अर्चन करने के बाद लोगों को प्रसाद दिया। पूजा-अनुष्ठान के बाद चल पड़े बाजारों की ओर, तो कारोबारियों की उम्मीदें भी परवान चढ़ने लगीं। लोगों ने नए सामानों की खरीदारी की। खासतौर से सराफा की दुकानों पर ग्राहकों की भीड़ रही, लेकिन जो गहने नहीं खरीद सके उनकी भीड़ भी बाजार में दिखी। किसी ने नए बर्तन खरीदे तो किसी ने नए परिधान। इस पर्व पर स्वर्ण आभूषण खरीदने की परंपरा फिलहाल लोगों पर हावी दिखी। पिछले वर्ष की अपेक्षा जेवर के दाम में कमी तो नहीं थी, लेकिन सराफा बाजार गुलजार रहा। आम आदमी ने हजार रुपये का आभूषण खरीदा तो वहीं संपन्न लोगों ने लाख रुपये से ऊपर तक की खरीदारी की। लगन के बावजूद दो दिन पहले तक ग्राहकों की राह देखने वाले कारोबारियों के चेहरे भी ग्राहकों की अच्छी आमद देख खिले-खिले नजर आए। पुरानी कोतवाली पर सराफा कारोबार करने वाले आशीष गोयल ने बताया कि सुबह से दोपहर तक उम्मीदों से ज्यादा ग्राहक आए। दोपहर बाद कुछ देर के लिए कारोबार में ठहराव आया, लेकिन शाम होने के साथ फिर ग्राहकों का आना शुरू हो गया। यह अलग बात है कि हर बार की अपेक्षा इस बार बिक्री कम रही। वहीं शहर के बड़ादेव स्थित ज्वेलरी शोरूम संस्कार ज्वैलर्स के मालिक आशुतोष रूंगटा ने बताया कि इस बार भी दोपहर तक रोज की अपेक्षा काफी ज्यादा ग्राहक आए। लोगों ने अपनी जेब के अनुसार हल्के-भारी जेवर की डिमांड की। कुल मिला कर यह पर्व आभूषण विक्रेताओं का उत्साहवर्धन कर गया।
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