सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटा, दो - दो हजार का जुर्माना भी लगाया
आजमगढ़: मारपीट के मुकदमे में अपील की सुनवाई पूरी करने के बाद सत्र न्यायालय ने निचली अदालत के फैसले को पलटते हुए दो आरोपियों को तीन तीन वर्ष के कठोर कारावास तथा प्रत्येक को दो दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर एक बीडी भारती ने सुनाया। शहर कोतवाली के मुंदरा सराय निवासी रामपलट पुत्र राम चरित्तर गांव के रामप्यारे पुत्र रामदवर से नाबदान का विवाद चल रहा था। इसी पानी बहाने के विवाद को लेकर 1 अक्तूबर 1998 को सुबह सात बजे रामप्यारे तथा उनके लड़के शंकर तथा रमेश ने वादी रामपलट को लाठी डंडा व लात घूसा से बुरी तरह से मारा पीटा, गाली गलौज दिया तथा जान से मारने की धमकी दी। इस मामले में पुलिस ने तीनों आरोपियों के विरुद्ध चार्जशीट न्यायालय में प्रस्तुत किया। अभियोजन पक्ष की तरफ से वादी रामपलट समेत चार गवाहों ने कोर्ट में गवाही दी। दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद मजिस्ट्रेट न्यायालय ने पर्याप्त साक्ष्य के अभाव में 31 अक्तूबर 2011 को तीनों आरोपियों रामप्यारे, शंकर व रमेश को दोषमुक्त कर दिया। इस निर्णय से असहमत वादी रामपलट ने सत्र न्यायालय में अपील दाखिल की। जिस पर सत्र न्यायालय ने सुनवाई पूरी करते हुए सभी तथ्यों का अवलोकन किया। दौरान आरोपी रामप्यारे की मृत्यु हो गई। सत्र न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने के बाद आरोपी शंकर तथा रमेश को दोषी दोषी पाते हुए दोनों को तीन-तीन वर्ष के कठोर कारावास तथा प्रत्येक को दो दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।अभियोजन पक्ष की तरफ से शासकीय अधिवक्ता जगदम्बा पांडेय तथा बिंध्य वासिनी प्रसाद सिंह ने पैरवी की।
Blogger Comment
Facebook Comment