निर्माण के 16 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक एमआरआइ जांच की सुविधा नही है
आजमगढ़ : वर्ष 2006 में तत्कालीन सपा सरकार ने राजकीय मेडिकल कालेज एवं सुपर फैसिलिटी अस्पताल का तोहफा दिया। निर्माण के बाद लोगों को लगा कि अब जिले के लोगों के साथ पूरे पूर्वांचल के लोगों को गंभीर रोगों के इलाज के लिए नहीं भटकना पड़ेगा। आलम यह है कि निर्माण के 16 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज तक यहां एमआरआइ जांच की सुविधा नहीं है। कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया। अल्ट्रासाउंड तथा सीटी स्कैन से लेकर एक्स-रे आदि की सुविधा उपलब्ध है, लेकिन इस समय सीटी स्कैन मशीन भी खराब है।शरीर में किसी रोग की जांच के लिए एमआरआइ को अंतिम विकल्प माना जाता है। इसकी जांच महंगी होने के कारण क्षेत्र के गरीब मरीजों को समस्या होती है। इस जांच को कराने के लिए पांच हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। आम बोलचाल में राजकीय मेडिकल कालेज को लोग मिनी पीजीआइ के ही नाम से जानते हैं। इस बारे में प्रभारी प्रधानाचार्य डा. सतीश कुमार ने मीडिया को बताया कीसीटी स्कैन मशीन ठीक कराने के लिए कंपनी को पत्र लिखा गया है। एमआरआइ की सुविधा तो नहीं है, लेकिन शासन की मंशा है कि जितनी सुविधाएं उपलब्ध हैं, उनका ठीक से क्रियान्वयन हो। एमआरआइ के लिए भी शासन को पूर्व में पत्र लिखा गया या नहीं, इसकी सही जानकारी नहीं है।
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