1891 में गुयाना गई महिला के चौथी पीढ़ी के डा. विष्णु पंहुचे पुरखों की धरती पर
कहा, मेरे लिए किसी तीर्थ से कम नहीं हमारे पुरखों की धरती
आज़मगढ़: अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहने वाले डॉ. विष्णु विश्राम पुरखों की धरती को तलाश करते हुए आजमगढ़ के सियरहा गांव पहुंचे। अपने परिवार के लोगों से मिलकर भावुक हो गए। उनकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उन्होंने कहा कि मेरे लिए हमारे पूर्वजों की धरती किसी तीर्थ से कम नहीं है। आजमगढ़ जिले के सियरहा गांव में रहने वाले डॉ.. विष्णु विश्राम का परिवार 1891 में गुयाना चला गया था। उनकी परदादी का नाम अमरू था जिनको अंग्रेज गिरमिटिया मजदूर के रूप में गन्ने की खेती करने के लिए लेकर गए थे। मजदूर के रूप में वहां गई अमरू वहीं शादी करके वहीं बस गई। डॉ. विष्णु विश्राम उनकी चौथी पीढ़ी के हैं। परिजनों से बात कर भावुक हुए डॉ. विष्णु डॉ. विष्णु ने जब अपने परिवार को ढूंढ़ना शुरू किया तो पाया कि उनका परिवार यूपी के गाजीपुर, राजस्थान के भरतपुर और बिहार के छपरा में भी रहता है। बुधवार को जब वह आजमगढ़ के सगड़ी तहसील के सियरहा गांव में अपने परिवार के पास पहुंचे तो लोगों से बात करते-करते भावुक हो गए। उन्होंने बताया कि वह 1977 से अमेरिका के न्यूयार्क शहर में रहते हैं और लगातार भारत आते रहते हैं। गांव की मिट्टी की महक उन्हें खींच लाती है। यहां अपने परिवार के से मिलकर जो खुशी महसूस हो रही है उसे बयां नहीं कर सकता। पूर्वजों की भूमि पर आकर अपने आप को गौरवान्वित महसूस कर रहा हूं। हमारे पूर्वजों की जमीन हमारे लिए किसी तीर्थ से कम नहीं है। यही कारण है कि लगातार भारत के साथ ही गिरमिट देशों में फिजी, सूरीनाम, मॉरिशस की यात्रा करता रहता हूं। आगे भी हमारा यहां से संपर्क बना रहेगा। अपने पूर्वजों के वंशज को इतने दिन बाद अपने बीच पाकर उमेश राय भी हतप्रभ रह गए। उनका पूरा परिवार भावुक हो गया। जिसे कभी देखा नहीं और जिसके बारे में कभी सुना भी नहीं अचानक उसके सामने आने से परिवार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
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