49 दोषियों में जिले के 07 शामिल, तो यहीं के 03 बरी भी हुए,परिजनों को पूरे फैसले का इन्तेजार
आजमगढ़: मंगलवार को अहमदाबाद में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम विस्फोट में मंगलवार 49 लोगों को दोषसिद्ध किया गया है तो वहीं 28 लोग बरी कर दिए गए है। दोष सिद्ध हुए 49 लोगों में आजमगढ़ के लगभग 07 लोग शामिल है तो वहींआजमगढ़। अहमदाबाद में वर्ष 2008 में हुए सीरियल बम विस्फोट में मंगलवार 49 लोगों को दोषसिद्ध किया गया है तो वहीं 28 लोग बरी कर दिए गए है। दोष सिद्ध हुए 49 लोगों में आजमगढ़ के सात लोग शामिल है तो वहीं तीन बरी होने वाले भी जिले के रहने वाले है। न्यायालय के दोष सिद्ध किए जाने को लेकर संबंधित युवकों के परिजन अभी चुप्पी साध लिए है, परिजनों का कहना है कि अभी फैसला आना बाकी है। जैसे जिले में तीन युवक बरी हुए है वैसे ही और भी बरी हो सकते है। जिले के सात युवकों पर दोष सिद्ध होने से जिले के माथे पर एक बार फिर कलंक का टीका लग गया है लेकिन यह कोई नई बात नहीं है। जिले के तार हर आतंकी घटनाओं के बाद जुड़े है। वर्ष 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम धमाका हुआ था। जिसें 59 लोग मारे गए थे। इस घटना का मास्टर माइंड जिले का रहने वाला अबुल बशर बताया जाता रहा है। अबुल बशर का अहमदाबाद ही नहीं लखनऊ, जयपुर व दिल्ली में हुए बम धमाकों भी नाम सामने आया था। इनके गैंग का नाम भी इंडियन मुजाहिद्दीन आज़मगढ़ मॉड्यूल के नाम से चिन्हित किया गया था। मूलरूप से सरायीर थाना क्षेत्र के बीनापार निवासी अबुल बशर को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था। दावा था अबुल बशर इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ है। इसके अलावा अहमदाबाद ब्लास्ट में सरायमीर के संजरपुर निवासी मो. सैफ, आरिफ मिर्जा नसीम, इसरौली निवासी आरिफ बदर, पारा निवासी मो. सादिक, शहर कोतवाली के बदरका निवासी सैफूल रहमान व कोट किला निवासी मो. जीशन भी शामिल है। इस मामले अभी उनके परिजन कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि अभी फैसला आना बाकी है। सभी के घरों पर सन्नाटा पसर गया है तो कोई कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है। सभी न्यायालय के फैसले का सम्मान करने और जरूरत पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय में जाने की बात कहते नजर आए। लोगों का यह भी कहना है कि मो. हबीब, मो. साकिब व मो. जाकिर को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। इससे लोगों ने दावा किया की निश्चित तौर पर यह सिद्ध होता है कि गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद विस्फोट में बहुत से फर्जी लोगों को भी पकड़ लिया है। वैसे देश में होने वाले हर विस्फोट के तार हमेशा ही जिले से जुड़ते रहे है। मुंबई या अन्य शहरों में विस्फोट हो अथवा बाटला कांड सभी में आजमगढ़ का नाम सुर्खियों में आया है। आजमगढ़ को हमेशा ही आतंकियों के सुरक्षित पनाहगार का दर्जा दिया गया है। जिले के सात युवकों पर अहमदाबाद विस्फोट में दोष सिद्ध होना निश्चित तौर पर एक बड़ा धब्बा है, लेकिन जब तक न्यायालय का पूर्ण फैसला न आ जाए तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।। न्यायालय के दोष सिद्ध किए जाने को लेकर संबंधित युवकों के परिजन अभी चुप्पी साध लिए है, परिजनों का कहना है कि अभी फैसला आना बाकी है। जैसे जिले में तीन युवक बरी हुए है वैसे ही और भी बरी हो सकते है। जिले के सात युवकों पर दोष सिद्ध होने से जिला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। ज्ञात हो कि वर्ष 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम धमाका हुआ था। जिसें 59 लोग मारे गए थे। इस घटना का मास्टर माइंड जिले का रहने वाला अबुल बशर बताया जाता है। अबुल बशर पर अहमदाबाद ही नहीं लखनऊ, जयपुर व दिल्ली में हुए बम धमाकों भी नाम सामने आया था। मूलरूप से सरायीर थाना क्षेत्र के बीनापार निवासी अबुल बशर को गुजरात पुलिस ने गिरफ्तार किया था। अबुल बशर इंडियन मुजाहिद्दीन आतंकी संगठन से जुड़ा हुआ बताया गया। इसके अलावा देश भर में हुए धमाकों के मामले में सरायमीर के संजरपुर निवासी कुछ युवकों के साथ ही जिला भर के 02 दर्जन युवक शामिल बताए गए है। पर अभी भी उनके परिजन कुछ बोलने को तैयार नहीं हैं। उनका कहना है कि अभी फैसला आना बाकी है। सभी के घरों पर सन्नाटा पसर गया है तो कोई कुछ भी बोलने से इंकार कर रहा है। सभी न्यायालय के फैसले का सम्मान करने और जरूरत पड़ने पर सर्वोच्च न्यायालय में जाने की बात कहते नजर आए। लोगों का यह भी कहना है कि मो. हबीब, मो. साकिब व मो. जाकिर को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया है। लोगों की दलील है की इससे निश्चित तौर पर यह सिद्ध होता है कि गुजरात पुलिस ने अहमदाबाद विस्फोट में बहुत से फर्जी लोगों को भी पकड़ लिया है। वैसे उस दौर में देश में होने वाले हर विस्फोट के तार हमेशा ही जिले से जुड़ते रहे है। मुंबई, अहमदाबाद, वाराणसी आदि में विस्फोट हो अथवा बाटला कांड सभी में आजमगढ़ का नाम सुर्खियों में आया है। आजमगढ़ को हमेशा ही आतंकियों के सुरक्षित पनाहगार का दर्जा दिया गया है। जिले के सात युवकों पर अहमदाबाद विस्फोट में दोष सिद्ध होना निश्चित तौर पर एक बड़ा कलंक है, लेकिन जब तक न्यायालय का पूर्ण फैसला न आ जाए तब तक कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी।
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