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आज़मगढ़: पहले भी ठेके की शराब से जा चुकी हैं जाने ,पुलिसकर्मी भी शामिल मिले थे


2021 में भी उजागर हुई थी सरकारी दुकान की मिलीभगत,पुलिस पर भी उठे थे सवाल

08 माह पूर्व शराब से मौतों के मामले में पवई थाना पुलिस की साबित हुई थी संलिप्तता

आजमगढ़ : मौत के सौदागर एक बार फिर से प्रशासन के चक्रव्यूह को तोड़ने में सफल हो गए। जेब भरने के लिए सरकारी दुकान पर जहरीली शराब पहुंचा दिए। आठ माह के अंतराल में शराब तस्करों की इस सेंधमारी से आम जनमानस का सरकारी मशीनरी से भरोसा उठा दिया है। दरअसल, इससे पूर्व 2021 में जहरीली शराब से हुई मौत मामले की जांच में ठेके की शराब पीने से मौत की बात उजागर हुई थी। छानबीन में छींटे कई पुलिस वालों पर भी पड़े थे, जबकि एक सलाखों के पीछे पहुंचाया गया था। बीते साल त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जहरीली शराब से मौतें हुईं थीं। अंबेडकर नगर से शुरू हुआ मौतों को खेल आजमगढ़ पहुंचा, तो पुलिस ने दबाने की कोशिश की थी। तत्कालीन एसपी सुधीर कुमार सिंह ने बाकायदा मीडिया के दावों को एक वीडियो जारी कर खंडन तक कर डाला था, लेकिन सच्चाई कब तक छिपती। दबाव बढ़ने पर जांच हुई, तो पुलिस और प्रशासन की नींद उड़ गई। दरअसल, पवई के तत्कालीन एसओ अयोध्या तिवारी, मित्तूपुर पुलिस चौकी प्रभारी अरुण कुमार सिंह, हेडकांस्टेबल राजकिशोर सिंह की संलिप्तता उजागर हुई, तो उन्हें निलंबित किया गया। शराब तस्कर मोती लाल व उसके गुर्गे हत्थे चढ़े तो यह बात सामने आई कि बाकायदा वसूली की जाती थी। रजनीश नामक सिपाही का नाम सामने आया तो माफियाओं के साथ उसके खिलाफ भी केस दर्ज कर उसे सलाखों के पीछे पहुंचाया गया था। उस समय सिपाही बिखलते हुए खुद को बेगुनाह बताते हुए यह भी कहा था कि अकेले मेरे वश में ऐसा करना कहां संभव था। उसके बाद पुलिस ने माफियाओं के खिलाफ खूब अभियान चलाया, लेकिन आठ माह बाद ही नतीजा फिर से तीन मौतों, 41 बीमारों के साथ ढाक के तीन पात साबित हुआ।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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