162 गोवंशों को किसानों ने लिया गोद ,गोबर से लठ्ठा बनाने की लगेंगी मशीनें
ग्राम प्रधानों को कम से कम 10 गो वंश को गोद लेने का निर्देश दिया
छुट्टा पशुओं से अपनी फसलों को बचाना किसानों के लिए भारी पड़ने लगा था। किसान रात दिन जागकर अपने फसलों की रखवाली कर रहा था। नवागत डीएम ने इस समस्या को गंभीरता से लिया और अधिकारियों को छुट्टा पशुओं को पकड़कर गो आश्रय स्थलों में बंद करने का निर्देश दिया। उनके निर्देश का परिणाम है कि जनपद में सड़कों पर घूम रहे 1048 गोवंशों को आश्रय मिल चुका है। जबकि 162 गोवंशों को गोद लेकर किसान उनकी सेवा करने में लगे हैं। डीएम ने किसानों की इस समस्या को एक महा अभियान चलाकर दूर करने का निर्णय लिया। उन्होंने छुट्ट पशुओं को गौ आश्रय स्थलों में संरक्षित करने के निर्देश दिए। मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी को निर्देश दिया कि आवश्यकतानुसार गोवंश को संरक्षित करने के लिए अस्थायी गो आश्रय स्थलों का निर्माण भी कराया जाए। गो आश्रय स्थलों की मानीटरिंग प्रतिदिन डीएम द्वारा जूम एप से की जाती है। उन्होंने जन सहभागिता योजना के तहत ग्राम प्रधानों को कम से कम 10 गो वंश को गोद लेने का निर्देश दिया है। ग्राम सभा की जमीनों पर अस्थाई गो आश्रय स्थल का निर्माण एवं हरे- चारे के लिए बरसीन व बाजरा की खेती भी कराने के लिए निर्देश दिए हैं। इतना ही नहीं गोवंश स्थलों पर गोबर से लठ्ठा बनाने के लिए मशीन स्थापित कराने के निर्देश दिए है। लठ्ठों को जगह-जगह स्थावित श्मशान घाटों से संपर्क कर आपूर्ति कराने का दिया है आदेश। अब तक विशेष अभियान के तहत 1048 गो वंशों को संरक्षित किया गया है। कुल 162 पशुओं को सहभागिता योजना तहत ग्राम प्रधानों को सुपुर्द किया गया है।
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