देश को केवल सत्याग्रह से आजादी नहीं मिली : अधिकारी जी
डीएम-एसपी समेत मंचासीन अतिथियों का हुआ सम्मान
आजमगढ़ : जजी कचहरी के मैदान में अमृत महोत्सव के समापन अवसर पर आमंत्रित पूर्वांचल विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर निर्मला एस मौर्य ने कहा कि बच्चे और युवा देशहित में काम करें, यहीं महोत्सव की उपलब्धि होगी। वह वतन रहता है जहां जांबाज रहते हैं। उन्होंने कहा कि कभी ठंड में ठिठुरकर देखना, कभी धूप में जलकर देखना, सीमाओं की रक्षा कैसे होती वहां जाकर देखना। कहा कि यूनानी अफलातून ने कहा था कि गुलामी मृत्यु से भी भयावह होती है। हालांकि मैं भारत को कभी गुलाम नहीं मानती, क्योंकि हमारी परंपरा, हमारी विरासत आज भी जीवित है और यह भीड़ उसका प्रमाण है। उन्होंने बिपिन रावत और उनकी टीम को प्रणाम करते हुए कहा कि वह हमेशा जीवित रहेंगे।कहा कि हम उन सैनिकों से उऋिण नहीं हो सकते जो हमारे लिए बर्फ पर दीपावली मनाते हैं।कहा कि बहुत से क्रांतिकारी इतिहास के पन्नाें पर नहीं हैं,लेकिन हम उनका स्मरण करते हैं। अयोध्या से आए स्वामी राजकुमार अधिकारी जी ने कहा कि इस जिले ने 1857 की क्रांति में भी अहम भूमिका निभाई थी। साथ ही जोड़ा कि देश को केवल सत्याग्रह से आजादी नहीं मिली, बल्कि उसमें सुभाष चंद्र बोस, भगत सिंह जैसे क्रांतिकारियों का योगदान था। आज भी कन्हैया कुमार जैसे लोगों को जनता जवाब देगी। कहा कि यह ऋषि दुर्वासा, दत्तात्रेय और चंद्रमा ऋषि की तपोस्थली रही है। उन्होंने तोते की कहानी सुनाई, जिसमें तोते के गुरु राम-राम सुनने के बाद मर गए थे। कहा कि आजादी के लिए मरना भी पड़ेगा। इससे पहले मंचासीन राजकुमार अधिकारी का डा. पीयूष सिंह यादव, महंत राजेश मिश्र, निर्मला एस मौर्य का डा. अनूप सिंह यादव, पूर्व लेफ्टीनेंट दुष्यंत सिंह का आलोक जायसवाल, प्रांत प्रचारक सुभाष का शंकर साव, जिलाधिकारी राजेश कुमार का कमल अग्रवाल, एसपी अनुराग आर्य का नीरज अग्रवाल ने स्वागत किया। इस दौरान अमृत महोत्सव के मंच पर पूर्व सैनिक ऋषिकेश शुक्ला, गिरीश राय, मंगल गुप्ता, सुरेंद्र राय, विनोद कुमार व प्रभुनाथ सिंह को अंगवस्त्रम् व स्मृति चिह्न देकर अतिथियों ने सम्मानित किया, तो पूर्व सैनिकों ने पूर्व लेफ्टीनेंट जनरल दुष्यंत कुमार को अपनी ओर से सम्मानित करने की इच्छा जताई। उसके बाद पूर्व सैनिकों ने पूर्व लेफ्टीनेंट का स्वागत किया।
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