धार्मिक संस्थाएं आमदनी और खर्च आवाम के सामने समय-समय पर रखें- हाशिर आफताब खान शैली
शहर जामा मस्जिद एवं शहर ईदगाह ट्रस्ट के प्रबंधक/सचिव ने की पारदर्शिता की वकालत
आज़मगढ़: शुक्रवार को धार्मिक संस्थाओं के बारे में प्रेस प्रतिनिधि से वार्ता करते हुए शहर जामा मस्जिद एवं शहर ईदगाह ट्रस्ट के प्रबंधक/सचिव श्री हाशिर आफताब खान शैली ने कहा कि धार्मिक स्थलों में आवाम द्वारा सवाब एवं पुण्य की नीयत से दिए जाने वाले धन का हिसाब किताब शीशे की तरह साफ होना चाहिए। धार्मिक संस्थाओं की कमेटियों एवं धर्म गुरुओं को आमदनी और खर्च आवाम के सामने समय-समय पर रखते रहना चाहिए और बताना चाहिए कि आप का दिया हुआ पैसा हमने कहां खर्च किया और आवाम का यह हक भी बनता है और फर्ज भी है कि वो जाने की उनका दिया हुआ पैसा सही इस्तेमाल हो रहा है या नहीं । उन्होंने कहा कि बहुत से धार्मिक स्थलों में पारदर्शिता देखने को मिलती है पर अधिकतर धार्मिक संस्थाओं की कमेटियां एवं धर्म गुरुओ द्वारा कोई हिसाब किताब नही दिया जाता है । यह बेहद अफसोस की बात है और धार्मिक स्थलों में पैसा देने वाली आवाम का यह मानना है कि हमने जो पैसा दिया है वह सवाब या पुण्य की नियत से दिया है। मेरा मानना यह है कि यह देने वाले की भी जिम्मेदारी है और फर्ज भी है कि आप के दिए जाने वाले पैसे का सही इस्तेमाल कमेटियां एवं धर्म गुरुओं द्वारा हो रहा है कि नहीं। जिस दिन आप सवाल करना शुरू करेंगे उस दिन से उन धार्मिक संस्थाओं की कमेटियों एवं धर्म गुरुओं में डर पैदा होगा जो धार्मिक स्थलों में दिए जाने वाले पैसों का गलत इस्तेमाल करते हैं। अंत में श्री शेली ने कहा कि जो धार्मिक संस्थाएं पूरे ईमानदारी से काम कर रही हैं मैं उन्हें दिल से मुबारकबाद देता हूं और जो संस्थाएं और धर्म गुरु अल्लाह और ईश्वर के नाम पर दिए गए पैसे को खा रहे हैं उनके खिलाफ कड़ी से कड़ी कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए। ऐसे लोग आवाम के सामने बेनकाब भी होने चाहिए क्योंकि एक होता है दुनियावी भ्रष्टाचार और एक धार्मिक भ्रष्टाचार दुनियावी भ्रष्टाचार का फैसला तो दुनिया में हो जाएगा मगर धार्मिक भ्रष्टाचार जो लोग कर रहे हैं उनका हिसाब किताब ऊपर होगा । जब ऊपरवाला हिसाब लेगा उन भ्रष्टाचारियों को मालूम हो जाएगा कि वह दुनिया में क्या करके आए।
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