हाल ही में वरिष्ठ बसपा नेता ने सपा मुखिया को पत्र लिख पुत्र को साथ लेने की अपील की थी
आजमगढ़.: यूपी विधानसभा चुनाव से पहले चल रहे दलबदल के खेल से पूर्वांचल की राजनीतिक तपिश लगातार बढ़ती जा रही है। पूूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और बसपा के वरिष्ठ नेता व पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर की मुलाकात के बाद यह चर्चा तेज हो गयी है कि पुत्र के साथ सुखदेव भी साइकिल पर सवार हो सकते हैं। कारण कि सुखदेव बसपा मुखिया से नाराज हैं और पिछले दिनों उन्होंने खुद अखिलेश यादव को पत्र लिखकर अपने पुत्र कमलाकांत को सपा में शामिल करने की अपील की थी। दो बड़े नेताओं की मुलाकात ने सियासी हलचल बढ़ा दी है। वैसेे सपा इसे औपचारिक मुलाकात बता रह है। बता दें कि सुखदेव राजभर की गिनती प्रदेश के कद्दावर नेताओं में होती है। कांशीराम के साथ मिलकर उन्होंने बसपा को आगे बढ़ाने का काम किया। सुखदेव को मायावती का भी बेहद करीबी माना जाता है। यही वजह है कि बसपा जब भी सत्ता में आई सुखदेव राजभर को बड़ा पद मिला। 2007 में यूपी में बसपा की पहली बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनी तो सुखदेव राजभर को विधानसभा अध्यक्ष बनाया गया था लेकिन पंचायत चुनाव के बाद बसपा मुखिया द्वारा प्रदेश अध्यक्ष रामअचल राजभर सहित अन्य नेताओं के खिलाफ की गयी कार्रवाई से सुखदेव नाराज हैं। उन्होंने एक अगस्त को मायावती व अखिलेश यादव को पत्र लिखकर अपना दर्द बयां किया था। साथ ही अखिलेश यादव को दलित व पिछड़ों का हमदर्द व बड़ा नेता बताते हुए अपने पुत्र कमलाकांत को सपा में शामिल करनेे का निवेदन किया था। माना जा रहा था कि कमलाकांत जल्द ही सपा की सदस्यता लेंगे। खुद कमलाकांत ने इस बात को स्वीकार किया था लेकिन उन्होंने साफ कहा था कि उनके पिता ने पार्टी नहीं छोड़ी है बल्कि राजनीति से सन्यास की बात कही है। इसी बीच सपा मुखिया अखिलेश यादव रविवार को पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सुखदेव राजभर के गोमतीनगर स्थित आवास पर जाकर उनसे मुलाकात किये। दोनों नेताओं के बीच घंटों बात चली। सूत्रों की माने तो अखिलेश चाहते हैं कि सुखदेव राजभर भी पुत्र के साथ सपा में शामिल हो। इसलिए उन्होंने इस संबंध में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष से बातचीत की लेकिन सपा मुलाकात को सिर्फ औपचारिक बता रही है। सपा के मुख्य प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने बताया कि पूर्व मुख्यमंत्री सिर्फ हालचाल के लिए उनके आवास पर पहुंचे थे। इस दौरान दोनों के बीच यूपी विधानसभा चुनाव 2022 पर मंथन जरूर हुआ होगा। माना जा रहा है कि अगर अखिलेश पूर्व विधानसभा अध्यक्ष को पार्टी में शामिल करने में कामियाब होते हैं और चुनाव में अगर सुखदेव राजभर के साथ मंच शेयर करते हैं तो सपा को बड़ा फायदा मिल सकता है।
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