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आज़मगढ़: बिजली कर्मचारी फिर आंदोलन ने मूड में, करेंगे कार्य बहिष्कार


निजीकरण, वेतन विसंगति, रिक्त पदों पर नियुक्ति आदि मुद्दों को लेकर 03 फरवरी को कार्य बहिष्कार का एलान


आजमगढ़: किसान आंदोलन की आंच झेल रही केंद्र व प्रदेश की बीजेपी सरकार की मुश्किल और बढ़ती दिख रही है। किसानों के साथ ही अब बिजली कर्मचारियों ने भी निजीकरण सहित छह मांगों को लेकर सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी की है। बिजली कर्मचारियों ने 03 फरवरी को कार्य बहिष्कार का फैसला किया है। कर्मचारियों का दावा है कि अगर सरकार उनकी बात नहीं मानती है तो वे बड़ा आंदोलन करने के लिए बाध्य होंगे। बता दें कि बिजली कर्मचारी निजीकरण का लगातार विरोध कर रहे है। पिछले दिनों कर्मचारियों ने कार्य वहिष्कार व विरोध प्रदर्शन किया था जिससे पूरे पूर्वांचल की बिजली व्यवस्था ध्वस्त हो गयी थी। सरकार से समझौते के बाद आंदोलन रद्द कर दिया गया था। इससे उपभोक्ताओं को राहत मिली थी लेकिन एक बार फिर बिजली कर्मचारी आंदोलन का मूड बना रहे है। कर्मचारी यह आंदोलन ऐसे समय पर करने जा रहे हैं जब किसानों को सिंचाई के लिए बिजली की नितान्त आवश्यकता है। ऐसे में बिजली कर्मचारियों का यह आंदोलन सरकार की मुश्किल बढ़ा सकता है। कारण कि बिजली व्यवस्था प्रभावित होने का सीधा असर आम आदमी और किसान पर पड़ना है। इसका खामियाजा सत्ताधारी दल को पंचायत चुनाव में भुगतना पड़ सकता है।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक प्रभु नारायण पांडेय प्रेमी का कहना है कि विद्युत वितरण का निजीकरण किये जाने समेत छह सूत्रीय मांगों को लेकर 3 फरवरी को कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे। उन्होने बताया कि केन्द्र व राज्य सरकार के निजीकरण नीति के विरोध एवं अन्य समस्याओं के समाधान के लिए ऊर्जा निगमो में तैनात सभी कर्मचारी कार्य बहिष्कार करेंगे। अभी सभी संवर्गों की वेतन विसंगतियां दूर नहीं की गयी और न ही नियमित पदों पर नियमित भर्ती की जा रही है। ग्रेटर नोयडा का जो निजीकरण हुआ है उसे रद्द नहीं किया जा रहा है। इससे कर्मचारी नाराज है। मांग पूरी न होने पर यह आंदोलन आगे भी बढ़ सकता है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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