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आज़मगढ़: पूर्व मंत्री वसीम अहमद के निधन से जिले में शोक की लहर


खेल के मैदान से राजनीति के मैदान में उतरे थे वसीम अहमद

तीन बार विधायक,अखिलेश यादव सरकार में मंत्री भी रहे


आजमगढ़: तीन बार विधायक और एक बार यूपी की अखिलेश सरकार में मंत्री रहे वसीम अहमद के निधन की खबर मिलते ही जिले के राजनीतिक व सामाजिक वर्ग में शोक की लहर दौड़ गई । वसीम अहमद पिछले कुछ दिनों से अस्वस्थ चल रहे थे, उनका लखनऊ में इलाज के दौरान देहांत हो गया। 
पूर्व मंत्री वसीम अहमद छात्र जीवन में बालीवाल के टापर खिलाड़ी रहे । शहर के शिब्ली कालेज में उच्च शिक्षा हासिल की और बाद में पार्ट टाइम गेम टीचर के रूप में खिलाड़ियों की नर्सरी तैयार करने में रम गए । 90 के दशक में सपा के कद्दावर नेता और सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के करीबी बलराम यादव की पहल पर वसीम अहमद गेम टीचर से समाजवादी राजनीति के मैदान में उतर गए । वर्ष 1996 में वसीम अहमद पहली बार सपा के टिकट पर आजमगढ़ के गोपालपुर विधानसभा सीट बसपा के नसीम अहमद को हरा कर विधानसभा में पहुंचे ।वर्ष 2002 में दोबारा इसी क्षेत्र से बसपा के रेयाज खान को परास्त कर विधायक निर्वाचित हुए। मगर वर्ष 2007 में बसपा के श्यामनरायन यादव के मुकाबले में वसीम अहमद को हार का सामना करना पड़ा । वर्ष 2012 में बसपा के पूर्व एम एलसी कमला प्रसाद यादव को हरा कर वसीम अहमद तीसरी बार गोपालपुर विधानसभा से चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे, तो अखिलेश यादव की सरकार में वह अपने करियर के शीर्ष पर पहुंच गए। अखिलेश सरकार में 2012 से 2017 तक बाल विकास कल्याण, ऊर्जा राज्य मंत्री रहे । 

वर्ष 2017 में वसीम के राजनीतिक करियर पर लगा ग्रहण 

पूर्व मंत्री वसीम अहमद के राजनीतिक कैरियर पर वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में उस समय ग्रहण लग गया ,जब मुलायम सिंह यादव पारिवारिक विवाद में घिर गए और समाजवादी पार्टी की बागडोर अखिलेश यादव के हाथ में पहुंच गई। अखिलेश यादव ने गोपालपुर के लोकप्रिय नेता वसीम अहमद का टिकट काट कर युवा चेहरे के रूप में नफीस अहमद को चुनाव मैदान में उतार दिया ।हालांकि नफीस अहमद चुनाव जीत कर विधानसभा में पहुंचने में कामयाब हो गए ।
गोपालपुर विधानसभा से टिकट कटने के बाद भी पूर्व मंत्री वसीम अहमद सपा के साथ वफादारी के साथ खड़े रहे। गोपालपुर विधानसभा क्षेत्र के जमीनी कार्यकर्ता उन्हें अपने नेता मानते रहे ।कारण कि वह अपने क्षेत्र में हर गरीब, किसान मजदूरों को सम्मान देते थे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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