इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हर विद्या को स्वतन्त्र रूप से विकसित करने की पक्षधर है-डा मोहम्मद खालिद,सचिव
आजमगढ़: खिचड़ी मेडिकल शिक्षा के खिलाफ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के अध्यक्ष डा डीपी राय के नेतृत्व मेंं चिकित्सकों ने नगर के मेहता पार्क में सांकेतिक धरना दिया। यह धरना दोपहर 12 बजे से 2 बजे तक चलता रहा। इस दौरान एकजुट हुए चिकित्सकों ने जमकर सरकार के मौन होकर खिचड़ी मेडिकल शिक्षा को तत्काल वापस लिये जाने की बात कहीं। आईएमए आजमगढ़ के अध्यक्ष डॉ डीपी राय ने बताया कि भारतवर्ष आयुर्वेद पद्धति की जननी है। यूनानी भी यही से शुरू हुआ, जब पर्सियन यहॉ आये और शुरू किये। बीते 1800 में अंग्रेजों द्वारा मार्डन मेडिसिन की शुरूआत की गयी। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन चिकित्सा शिक्षा में खिचड़ी तन्त्र का विरोध करता है। चिकित्सा शिक्षा एक गुणवत्ता पूर्वक शिक्षा होती है। जिसमें चिकित्सक को अच्छा हुनर दिया जाता है एवं हर छोटी से छोटी विद्या को विज्ञान सम्मत तरीके से विकसित की जाती है। मार्डन मेडिसिन पूरी तरह से रिसर्च पर आधारित विद्या है। जिसमें हर मर्ज का इलाज आधुनिक तरीके से किया जाता है। यह विद्या हर महामारी के नियंत्रण में सक्रिय भूमिका निभाती है। देश में कोई नई दवा आनी हो, या नई तकनीकी विकसित करनी हो, या बिमारी को रोकने के लिए वैक्सीन तैयार करनी हो, मार्डन मेडिसिन के रिचर्स से ही यह सम्भव हो पाया है। कोविड-19 में जो भी नई दवा आयी हो, या अभी जो वैक्सीन आ रही हो, अपने मार्डन मेडिसिन के चिकित्सकों को योगदान देखा होगा। इसी तरीके से इंडियन मेडिसिन को देश में वैज्ञानिक तरीके से विकसित किया जा सकता है। मार्डन मेडिसिन में खिचड़ी तन्त्र लाने से पूरी विद्या का हास्य होगा। और भविष्य में देश को उच्चस्तरीय इलाज मिलने में बहुत कठिनाई होगी। सचिव डा मोहम्मद खालिद ने कहा कि भारतीय चिकित्सक पूरे विश्व में श्रेष्ठ चिकित्सक साबित हुए है विदेशों में 60 प्रतिशत चिकित्सक भारतीय है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन हर विद्या को स्वतन्त्र रूप से विकसित करने की पक्षधर है। हमारे भारत सरकार ने मांगा है कि मार्डन मेडिसिन के चिकित्सा में गुणवत्ता पूर्वक प्रणाली लागू हो। हमें चिकित्सकों की संख्या बढ़ाने के साथ-साथ उनकी गुणवत्ता पर भी ध्यान देना है ताकि अच्छी क्वालिटी वाले चिकित्सक बने। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, मेडिकल शिक्षा में खिवड़ी तन्त्र लाने का पूर्ण विरोध करती है तथा सरकार से अनुरोध करता है कि इस प्रकार की शिक्षा से चिकित्सकों की गुणवत्ता काफी कम हो जायेगी। इस अवसर पर डा जावेद अख्तर, डा फुरकान अहमद, डा आसिफ, डा एमके बरनवाल, डा स्वास्ति सिंह, डा अमित सिंह, डा खुशबू सिंह, यूबी चौहान सहित आईएमए चिकित्सक मौजूद रहे।
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