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आज़मगढ़: ब्रेन स्ट्रोक से बचाव को सतर्कता सबसे बड़ा हथियार है - डा० अनूप सिंह यादव


मौसम बन रहा घातक, औसतन 20 लोगों को रोजाना ब्रेन स्ट्रोक 

मधुमेह,हृदय रोगी, बुजुर्गों को ज्यादा खतरा,कोरोना भी हो सकता है कारण

आजमगढ़: ब्रेन स्ट्रोक, मनुष्य को कोमा तक पहुंचाने वाली खतरनाक बीमारी। इसका बिगड़ा स्वरूप लकवा होता है। यह पूरे परिवार को आर्थिक रूप से तबाह कर डालने वाली बीमारी है। मौसम की मुश्किलों के बीच इस बीमारी ने चुपके से पांव फैला लिया है। अस्पतालों में अचानक से मरीजों की तादाद में तेज वृद्धि इसका सुबूत है। एक आंकड़े मुताबिक औसतन 20 लोग रोजाना शिकार हो रहे हैं। बीमारों में बुजुर्ग, मधुमेह, हृदय रोगियों की तादाद ज्यादा है। ब्रेन स्ट्रोक, लकवा की चपेट लोग क्यों आ रहे हैं? इससे बचाव को क्या करें? इत्यादि सवालों को जानने के लिए हमने शहर के वरिष्ठ न्यूरो सर्जन डा. अनूप सिंह यादव से बात की तो उनके जवाब चौंकाने वाले थे।

ब्रेन स्ट्रोक क्या है? 

सर्दियों में ब्रेन स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। दिमाग में खून का थक्का (क्लाटिंग) जम जाने को ही ब्रेन स्ट्रोक कहते हैं। खून का थक्का जमने के बाद दिमाग को आक्सीन एवं ब्लड की आपूर्ति न मिलने पर व्यक्ति को लकवा मार जाता है। हालांकि, इस बीमारी को हौव्वा नहीं समझना चाहिए। लेकिन लापरवाही जरूर पूरी जिंदगी का दर्द दे सकती है। मसलन, घर के कमाऊ व्यक्ति का शरीर काम करना बंद कर दे तो क्या होगा। इलाज के खर्च बढ़ने के साथ व्यक्ति के फिर से उठ खड़े होने की गुंजाइश कम होने से दिनों दिन मुश्किलें बढ़ती जाती हैं। कई बार बीमार कोमा में जा पहुंच जाता है।

बचाव को सतर्कता सबसे बड़ा हथियार

ब्रेन स्ट्रोक से बचाव के लिए सतर्कता ही सबसे बड़ा हथियार है। खान-पान में बदलाव लाना चाहिए। चिकनाई वाले खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए। घरों में ही योग प्रणायाम करें। टहलने की आदत को दिनचर्या में शामिल करें। तड़के टहलने के बजाए धूप निकलने का इंतजार करें। क्योंकि तड़के कड़ाके की ठंड पड़ी तो खून का थक्का जमने और रक्तचाप की मुश्किल खड़ी हो सकती है। रक्तचाप मेडिटेशन (ध्यान) भी बचाव का सशक्त साधन है। ब्रेन हेमरेज की एक वजह तनाव भी होता है, जिसका इलाज मेडिटेशन ही है। 40 की उम्र के बाद अलर्ट रहें और वर्ष में एक बार शरीर की पूरी जांच जरूर करानी चाहिए। धूमपान से दूरी बना लेनी चाहिए।

लक्षण को पहचाने, तुरंत पहुंचे अस्पताल

सिर में तेज दर्द, आवाज में बदलाव, हाथ-पैर सुन्‍न होना, आंखों की रोशनी में परेशानी महसूस हो तो तुरंत डाक्टर के पास जाएं। कोरोना भी इसका एक बड़ा कारण है। लकवा के सौ मरीजों में 40 की कोविड-19 रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। इसलिए कोरोना से बचाव बेहद जरूरी है। खून का थक्का जमने पर शीघ्रता की जाए तो थ्रंबोलिसिस थेरेपी बचाव का अचूक उपाय हो सकता है।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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