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आज़मगढ़: पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु सेटेलाइट से मानिटरिंग होगी- डीएम


लेखपाल अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलाने की घटना नही होने देने के लिए जिम्मेदार होंगे

पराली जलाई गई तो लगेगा क्षेत्र के अनुसार अर्थदण्ड, पुनरावृत्ति होने पर कारावास भी - डीएम

आजमगढ़ 03 अक्टूबर 2020 -- जिलाधिकारी राजेश कुमार की अध्यक्षता में कलेक्ट्रेट सभागार में खरीफ 2020 में फसल अवशेष प्रबन्धन हेतु गठित समिति की बैठक सम्पन्न हुई। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने कहा कि इस बार पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु सेटेलाइट से मानिटरिंग की जायेगी। जिलाधिकारी ने समस्त एसडीएम को निर्देश दिए कि अपने-अपने क्षेत्रों में खण्ड विकास अधिकारियों, ग्राम प्रधानों के साथ पराली जलाये जाने की रोकथाम हेतु बैठक करे। यह भी सुनिश्चित करे कि ग्राम पंचायतों मंे पराली का संग्रह किस स्थान पर किया जाना है। उन्होने कहा कि यदि किसी ग्राम पंचायत के किसी व्यक्ति द्वारा फसल अवशेष जलाने की घटना को घटित किया जाता है तो ग्राम प्रधान का उत्तरदायित्व होगा कि सम्बन्धित लेखपाल को सम्बन्धित व्यक्ति के विरूद्ध लिखित में अवगत करायेगे। राजस्व लेखपाल का दायित्व होगा कि वह सम्बन्धित थानें में अपराध कारित करने वाले व्यक्ति के विरूद्ध प्राथमिकी दर्ज कराये एवं क्षतिपूर्ति की वसूली हेतु अपने स्तर से सम्बन्धित उप जिलाधिकारी को लिखित में सूचित करे।उन्होने कहा कि फसल अवशेष जलाये जाने की घटना घटित होने पर यदि ग्राम प्रधान द्वारा छिपाया जाता है अथवा उच्चाधिकारियो को अवगत करानें में शिथिलता अपनाई जाती है तो यह अवधारित किया जायेगा कि फसल अवशेष जलाये जाने का अपराध करने वाले व्यक्ति के साथ सम्बन्धित ग्राम प्रधान की दुरभि-संधि व संलिप्तता है, बाध्य होकर सम्बन्धित ग्राम प्रधान का भी उत्तरदायित्व का निर्धारित कर उक्त कारित अपराध में सह-अभियुक्ति बनाते हुए दण्डात्मक कार्यवाही की जायेगी। उन्होने बताया कि राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण अधिनियम की धारा-24 एवं 26 के अन्तर्गत खेत में फसल जलाया जाना एक दण्डनीय अपराध है, पर्यावरण क्षतिपूर्ति हेतु दण्ड के प्राविधान में 02 एकड़ से कम क्षेत्र के लिए रू0 2500/- प्रति घटना, 02 एकड़ से 05 एकड़ के लिए रू0 5000/- प्रति घटना, 05 एकड़ से अधिक क्षेत्र के लिए रू0 15000/- प्रति घटना एवं अपराध की पुनरावृत्ति करने पर कारावास एवं अर्थदण्ड से दण्डित किया जायेगा। जिलाधिकारी ने बताया कि पराली का एक्स-सीटू-प्रबन्धन के अन्तर्गत कृषकों के खेत से पराली संग्रह करने हेतु आवश्यक धनराशि की व्यवस्था मनरेगा अथवा वित्त आयोग द्वारा की जायेगी तथा कृषकों के खेत से गौशाला स्थल तक पराली का ढुलान पशुपालन विभाग द्वारा किया जायेगा। राजस्व ग्राम के लेखपाल की जिम्मेदारी होगी की अपने क्षेत्र में फसल अवशेष जलने की घटनाये बिल्कुल नही होने देगें अन्यथा कार्यवाही की जायेगी। जिलाधिकारी ने समस्त एसडीएम व जिला कृषि अधिकारी ने कहा कि फसल की कटाई के दौरान प्रयोग की जाने वाली कम्बाईन हार्वेेस्टर के साथ सुपर स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम अथवा स्ट्रारीपर अथवा स्ट्रारीपर अथव स्ट्राटेक एवं बेलर का उपयोग किया जाना अनिवार्य होगा तथा यदि कोई भी कम्बाइन हार्वेस्टर सुपर स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम स्ट्रारीपर अथवा स्ट्राटेक एवं बेलर के बिना चलती हुई पायी जाती है तो तत्काल सीज की कार्यवाही की जायेगी व कम्बाईन स्वामी के व्यय पर ही सुपर स्ट्रा मैनेजमेण्ट सिस्टम लगवाने के उपरान्त ही छोड़ी जायेगी।
जिलाधिकारी ने जिला कृषि अधिकारी को निर्देश दिए जनपद में जो 208 कम्बाईन हार्वेस्टर है उस पर कृषि मित्र, तकनीकी सहायक एवं एडीओ कृषि की डूयटी लगाना सुनिश्चित करंे।
इस अवसर पर मुख्य राजस्व अधिकारी हरिशंकर, अपर जिलाधिकारी वित्त एवं राजस्व गुरू प्रसाद, अपर जिलाधिकारी प्रशासन नरेन्द्र सिंह, एसपी टैफिक, ज्वांइट मजिस्ट्रेट आईएस गौरव कुमार, समस्त एसडीएम, डीडीओ रवि शंकर राय, सीवीओ डा0 वीके सिंह, जिला कृषि अधिकारी डा0 उमेश कुमार गुप्ता उपस्थित रहे।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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