मास्क, सेनेटाइजर रखते हैं पास, साफ-सफाई और काढ़ा के चलते मजबूत है रोग प्रतिरोधक शक्ति
ज्यादा लोगों के बीच करना होता है काम, फिर भी दो गज की हमेशा बनी रहती है दूरीः जिलाधिकारी
आजमगढ़ 07 अक्टूबर-- जिलाधिकारी राजेश कुमार कहा है कि चेहरे पर हमेशा मास्क, पॉकेट या बैग में हमेशा सेनेटाइजर होना चाहिए। कितने ही ज्यादा लोगों से बात करना हो या काम लेना हो पर उन्हें दो गज से ज्यादा नजदीक नहीं आने देना है। कुछ ऐसी ही शख्सियत जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था के प्रमुख मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डाॅ0 एके मिश्रा हैं। इसका नतीजा यह रहा कि मार्च में कोरोना के चर्चा में आने तथा उसके बाद बड़ी संख्या में लोगों के इसकी चपेट में आने के बावजूद उन पर कोरोना का असर नहीं हुआ। जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की जिम्मेदारी संभालना इतना आसान काम भी नहीं है। इसके लिए एल-1, एल-2 व एल-3 अस्पतालों का दौरा करना होता है, जिसमें सिर्फ कोरोना के ही मरीज रहते हैं। दफ्तर में या अस्पताल में आने वाला कौन कोरोना पाजिटिव है, इसका भी पता नहीं रहता है। ऐसी स्थिति में कोरोना से बचाव करते हुए जिम्मेदारियां निभाना बड़ा ही चुनौती पूर्ण काम है। सीएमओ डाॅ0 एके मिश्रा ने कहा हैं कि इसके लिए सख्त आत्म अनुशासन की जरूरत होती है, क्योंकि स्वास्थ्य व्यवस्था का मुखिया होने से कई लोग मेरी जीवनशैली को अपने जीवन में अपनाते हैं। यदि मैं अस्वस्थ रहूंगा तो लोगों में बड़ा नकारात्मक संदेश जाएगा। वह कहते हैं कि स्वस्थ रहने के लिए शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करना होगा और सोने-जागने से लेकर खान-पान में बड़ी ही सतर्कता दिखानी होगी। उन्होने कहा वह सुबह पांच बजे उठते हैं। हल्का-फुल्का व्यायाम करने के 15-20 मिनट बाद दो-तीन गिलास गुनगुना पानी पीते हैं। उसके बाद हर्बल चाय या काढ़ा लेते हैं। 9ः00 से 9ः30 बजे के बीच भोजन करने के बाद दफ्तर के लिए निकल जाते हैं। सीएमओ ने कोरोना के समय से अपनी कार्यशैली में काफी कुछ बदलाव किया है। लाकडाउन के बाद से ही ज्यादातर मीटिंग वर्चुअल हो रही है। इसके लिए जिला सामुदायिक प्रक्रिया प्रबंधक (डीसीपीएम) विपिन बिहारी पाठक सीएमओ आफिस के ही कम्प्यूटर पर इसके लिए व्यवस्था तैयार कर दी है। वह ही मीटिंग में शामिल होने के लिए संबंधित लोगों को लिंक या आईडी और पासवर्ड भेजकर तैयार करते हैं और किसी को सीएमओ सभागार में आने की जरूरत नहीं होती। सुबह 11 बजे से आफिस की जरूरी फाइलें निपटाते हैं और जहां पर जरूरत होती है फोन कर सूचना देते हैं। इसके बाद जरूरी हुआ तो वेबिनार पर मीटिंग में कार्यों की समीक्षा की या किसी योजना के लिए प्रशिक्षण को संबोधित किया। मीटिंग या प्रशिक्षण नहीं रहा तो किसी न किसी अस्पताल की व्यवस्था का जायजा लेने जाते हैं। इस दौरान भी लोगों से दो गज की दूरी बनी रहती है। कहीं से आए तो या तो हाथ में सेनेटाइजर लगाएंगे या साबुन-पानी से 40 सेकंड तक हाथ धोएंगे। इसका नतीजा है कि कोरोना संक्रमण के दौर में भी कभी कोरोना से प्रभावित नहीं हुए। वह जहाँ भी जाते हैं लोगों को भी इन हिदायतों के बारे में विस्तार से बताते हैं।
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