बचपन में मां का साया छिना, फिर चाचा और पिता की हत्या हुई
निभाया अभिभावक का फर्ज, 03 बहनों को पढ़ा लिखा कर कराया विवाह,अब पीसीएस में सफलता पाई
आज़मगढ़: फौलादी इरादों वाली बिटिया मनोकामना राय का परिवार सगड़ी तहसील क्षेत्र के संरगहा सागर गांव में रहता था। हंसते-खेलते परिवार काे ऐसी नजर लगी कि सात साल की उम्र में मनोकामना के सिर से मां नर्मदा राय का छा3या छिन गया। इस दर्द से परिवार जूझ ही रहा था कि मनोकामना के चाचा एवं कपड़े के कारोबारी राजेंद्र राय की हत्या कर दी गई। पिता वीरेंद्र भाई को खोकर इस कदर टूट गए कि गांव को छोड़ने का मन बना लिया। पैतृक जमीन-जायजाद बेचकर लाटघाट बजार में रहने के लिए किराये का कमरा ले लिए। तीनों बेटिया, बेटा के साथ रहने लगे। रोजी-रोटी के लिए कपड़े की छोटी सी दुकान खोल ली, लेकिन नियति को कुछ और ही मंजूर था। वर्ष 2012 में वीरेंद्र राय की भी हत्या कर दी गई। मनोकामना उस समय करीब 20 वर्ष की रही होंगी, लेकिन परिस्थितियों ने उन्हें अभिभावक की भूमिका में ला खड़ा किया। बिटया ने हालात को समझा और खुद की पढ़ाई करने के साथ ही तीनों बहनों को पढ़ाया। एक-एक कर तीनों बहनों की शादी कर दी, लेकिन खुद अविवाहित रहते हुए अपनी पढ़ाई जारी रखी। पढ़ाई समेत दूसरे खर्च निकालने को ट्यूशन करती रही लेकिन बिटिया ने हार नहीं मानी। ईश्वर और कितनी परीक्षा लेते, शायद मनोकामना दु:ख को सहन करते, दुश्वारियों काे पार करते हुए फौलाद बन चुकी थी। उसके अंदर जीतने का जज्बा देख परेशानियों ने भी अपने पैर पीछे खींच लिए थे। ऐसे में बिटिया पीसीएस की परीक्षा दी तो 18वीं रैंक के साथ उसकी मनोकामना पूर्ण हो गई।
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