सोशल मीडिया में पडोसी प्रदेश से आये वीडियो ने अफवाह को दी रफ्तार, शहर में महिलाओं ने किया विधिवत कोरोना माई का पूजन
आजमगढ़ : जहां एक ओर कोविड-19 से निपटने के लिए दुनिया भर के वैज्ञानिक वैक्सिन बनाने में जुटे हैं और कोरोना का प्रसार रोकने के लिए मंदिर-मस्जिद, चर्च-गुरुद्वारे तक बंद हैं। वहीं कुछ लोग अंधविश्वास के चक्कर में पड़ गए हैं। सोशल मीडिया से इस तरह के अंधविश्वास को बढ़ावा मिल रहा है। बताया जाता है कि सबसे पहले इस अंधविश्वास की शुरुआत बिहार हुई। वहां सोशल मीडिया पर इस तरह की पूजा करती महिलाओं की फोटो और वीडियो शेयर हुए। इसके बाद यूपी के कुछ जिलों में मामला पहुंचा। अब आजमगढ़ समेत अन्य जगहों पर यह अंधविश्वास फैल गया है। महिलाओं का कहना है कि पूजा से 'कोरोना माई' प्रसन्न होंगी और उनके गांव पर इस बीमारी का असर नहीं पड़ेगा। कोरोना महामारी को कोरोना माई मानते हुए ये लोग अजीब तरह से पूजा पाठ में जुट गए हैं। आजमगढ़ में एसकेपी इंटर कालेज में शुक्रवार की सुबह ऐसा ही कुछ नजारा दिखाई दिया। यहाँ कई महिलाओं ने कोरोना को माई (मां) मानते हुए पूजा अर्चना की। बारिश में भीगते हुए महिलाएं पूजा में जुटी रहीं। बारिश में ही कई महिलाएं हाथ में पूजा की थाली लिये मैदान में पहुंच गयी। सभी महिलाएं एक लाइन लगाकर जमीन पर बैठ गयी। महिलाओं के हाथ में पूजन सामग्री के साथ खुरपी भी थी। जिससे महिलाएं मिट्टी को खोदकर छोटा गड्ढा कर रही थी। इसके बाद साथ में लाये लड्डू, फूल व अन्य पूजन सामग्री से पूजन अर्चन शुरू कर दिया। महिलाओं का कहना था कि दो सप्ताह तक सोमवार व शुक्रवार को कोरोना माई की पूजा अर्चन करने से महामारी भाग जायेगी। पूजा में नौ लवंग, नौ फूल, लड्डू चढ़ाने से करोना महामारी दो सप्ताह में भाग जाएगी। महिलाओं के पूजन अर्चन की क्षेत्र में खूब चर्चा हो रही है। हालांकि जागरूक लोगों का कहना है की इस तरह की पूजा या टोटके से तो कोरोना ख़त्म नहीं होगा इसके विपरीत ऐसे कार्यों में शारीरिक दूरी भी नहीं रहेगी। जिससे कोरोना प्रसार और बढ़ेगा। लोगों का कहना है कि प्रशासन को अंधविश्वास से जुड़े वीडियो और संदेशों पर तत्काल अंकुश लगाना चाहिए ताकि कोरोना के नाम पर लोग जाने-अनजाने गलत धारणाओं के शिकार न बनें। इस बीमारी का अब तक कोई इलाज नहीं खोजा जा सकता है। सोशल डिस्टेसिंग और साफ-सफाई रखकर ही इससे बचा जा सकता है।
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