ढाई लाख के इनामी अखंड प्रताप सिंह पर गैंगस्टर, हत्या,लूट व रंगदारी जैसे तीन दर्जन संगीन मामले है दर्ज
तरंवा ब्लॉक के पूर्व प्रमुख रहे अंखड 2017 में बसपा से लड चुके है अतरौलिया विधानसभा चुनाव
आजमगढ। फरार चल रहे पूर्व ब्लॉक प्रमुख तरवा व अतरौलिया विधानसभा 2017 में बसपा के प्रत्याशी अखंड प्रताप सिंह गुरूवार को जनपद के न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। बतादे कि एडीजी जोन वाराणसी द्वारा एक लाख का इनाम घोषित किया गया था, जिसके ऊपर तीन दर्जन अधिक गंभीर मुकदमें हत्या, हत्या के प्रयास,लूट, रंगदारी, गैंगस्टर जैसे संगीन मामले रहे। अभी हाल में जिले की पुलिस ने ईनाम की राशि बढाकर ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित करने की संस्तुति भेजी थी । पुलिस की बढ़ती घेराबंदी के बीच चकमा देकर गुरूवार को इनामी अखण्ड प्रताप सिंह ने आजमगढ़ एडीजे कोर्ट में आत्मसमर्पण किया। अखंड प्रताप सिंह के सरेंडर करने की सूचना के बाद बड़ी संख्या में कोर्ट के बाहर लोगों की भीड़ जमा हो गई। जिले के तरवा थाना क्षेत्र के जमुआ गांव निवासी अखंड प्रताप सिंह वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव से पूर्व तरवा ब्लॉक का प्रमुख था। वर्ष 2013 में 11 मई को ट्रांसपोर्ट धनराज की गोली मारकर हत्या के बाद बंदूक भी लूट ली गयी थी, जिसमें मृतक के भाई के तहरीर पर थाना तरवा की पुलिस ने पूर्व ब्लाक प्रमुख अखंड प्रताप सिंह पर मुकदमा दर्ज किया था। अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए अपर पुलिस महानिदेशक वाराणसी जोन की ओर से एक लाख रुपए पुरस्कार भी घोषित किया गया था। अभी हाल ही में आजमगढ़ की पुलिस ने ढाई लाख रुपए का इनाम घोषित करने की संस्तुति भेजी। अखंड प्रताप सिंह के खिलाफ 3 दर्जन से अधिक कई मामले लूट, डकैती, हत्या, गैंगस्टर के मुकदमा दर्ज है। पुलिस द्वारा गिरफ्तारी के लिए कई टीमें लगाई गई थी, देश के सभी राज्यों में क्राइम ब्रांच को पत्र लिखा गया, साथ ही प्रदेश के 75 जनपदों के पुलिस कप्तानों को भी पत्र लिखा गया था और अखंड का फोटो सहित डिटेल दिया गया था । लेकिन पुलिस को चकमा दे कर आखिर अखंड प्रताप सिंह ने न्यायालय में आत्मसमर्पण कर दिया। इस मामले में अपर पुलिस अधीक्षक ग्रामीण नरेन्द्र प्रताप सिंह ने बताया कि जिले में अखंड प्रताप सिंह पर कई मुकदमे है। जहां एक मामले में न्यायालय से जमानत मिली थी, न्यायालय के अपेक्षा करने पर वह न्यायालय में हाजिर नहीं हुए थे। जिसके चलते एडीजी के स्तर पर एक लाख का इनाम घोषित किया गया था और यह राशि बढ़ाने की भी संस्तुति की गई थी । गिरफ्तारी के लिए कई टीमें लगाई गई थी जिससे दबाव के चलते अखंड प्रताप सिंह ने न्यायालय में सरेंडर किया।
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