सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया
आजमगढ़ : राज्य सूचना आयुक्त प्रमोद कुमार तिवारी ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान जन सूचना अधिकारी एवं जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी की अनुपस्थिति को गंभीरता से लिया है। रजिस्ट्रार उत्तर प्रदेश जन सूचना आयोग की तरफ से प्रेषित पत्र के माध्यम से अवगत कराया गया है कि सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 की धारा 20(1) के अधीन जनसूचना अधिकारी पर 250 रुपये प्रतिदिन के हिसाब से अधिकतम 25 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया है। 11 फरवरी 2014 को अर्थदंड लगाया गया था। राज्य सूचना आयुक्त ने जिलाधिकारी व कोषाधिकारी को निर्देशित किया है कि आदेश का अनुपालन कराते हुए संबंधित तत्कालीन जनसूचना अधिकारी व जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के वेतन अधिरोपित अर्थदंड की वसूली कराया जाना सुनिश्चित करें। अर्थदंड की धनराशि की कटौती आदेश में दिए गए निर्देशों के अनुसार करके वसूल की गई धनराशि निर्धारित लेखा शीर्षक में जमा करें। तहसील सगड़ी की नगर पंचायत बिलरियागंज के शिवनगर निवासी दयाशंकर ने सूचना न देने पर राज्य सूचना आयुक्त के न्यायालय में जन सूचना अधिकारी जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी के खिलाफ वाद दाखिल किया था। प्रकरण की सुनवाई के दौरान कोर्ट में वादी तो उपस्थित हुए लेकिन प्रतिवादी पक्ष की ओर से महेंद्र गिरी, एबीआरसी कार्यालय बेसिक शिक्षा अधिकारी उपस्थित हुए। उन्होंने बताया कि वादी को समस्त सूचनाएं प्राप्त कराई जा चुकी हैं। जिसकी पुष्टि के लिए सूचनाओं की छायाप्रति आयोग की पत्रावली पर प्रस्तुत की गई है। पत्रावली के अवलोकन से स्पष्ट हुआ कि प्रकरण में वादी पक्ष को सुनवाई की तिथि की नोटिस रजिस्टर्ड डाक के माध्यम से भेजी गई। चूंकि प्रकरण में वादी लगातार अनुपस्थित है। जिससे प्रतीत होता है कि वादी स्वयं अपने वाद पर बल देना नहीं चाहता है और प्राप्त सूचनाओं से असंतुष्ट है। प्रकरण को और आगे लंबित रखने का कोई औचित्य नहीं है। प्रकरण में 11 फरवरी 2014 का पारित आदेश यथावत प्रभावी रहेगा।
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