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मैं अपनी लाश लिए फिर रहा हूँ काँधे पर, अपने जमीर की कीमत बहुत ज्यादा है -एन के सिंह, वरिष्ठ पत्रकार

आज़मगढ़ की पत्रकारिता का अतीत एवं भविष्य की संभावनाएं विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन हुआ 

समाज में हो रहे विघटन को रोकना पत्रकारिता की चुनौती- आशुतोष शुक्ला, राज्य संपादक, जागरण 

आज़मगढ़: आज़मगढ़ महोत्सव में मुख्य आयोजन के दूसरे दिन नेहरू हाल में आज़मगढ़ की पत्रकारिता का अतीत एवं भविष्य की संभावनाएं विषयक राष्ट्रीय सेमिनार का आयोजन किया गया। जिसमें बतौर मुख्य अतिथि नई दिल्ली के वरिष्ठ पत्रकार एन के सिंह ने कहा कि आज के दौर में हमने अपने गलत प्रतिमान बना लिए है। इस पर चिंतन करना होगा। उन्होंने एक प्रख्यात शायर के शेर को थोड़ा बदलते हुए कहा कि 'मैं अपनी लाश लिए फिर रहा हूँ काँधे पर, अपने जमीर की कीमत बहुत ज्यादा है' । आगे कहा कि बाजार के दबावों ने संपादक नामक संस्था को खत्म करना शुरू कर दिया है। उन्होंने टेलीविजन मीडिया के खबरों में हो रही गिरावट पर चिंता व्यक्त की कहा कि हम क्या परोस है यह सोचना होगा। उन्होंने समाज में हो रहे नैतिक मूल्यों के ह्रास पर भी विस्तार से अपनी बात रखी। कहा कि नैतिकता की समाज में कमी हो रही है हम अपने बच्चों में जो नैतिक भाव भरेंगे वो ही आगे परिलक्षित होंगे। उदहारण के तौर पर अगर बलात्कारियों की संख्या बढ़ी है तो उसमें उनके अभिभावकों द्वारा दिए गए संस्कार भी मायने रखते है।
भारतीय प्रेस परिषद के सदस्य जयशंकर शुक्ल ने कहा कि महाभारत के युद्ध को धृतराष्ट्र संजय की आखों से देखते थे और संजय निष्पक्ष होकर घटना का वर्णन करते थे लेकिन आज स्थितियां बदल गई है।
दैनिक जागरण के उत्तर प्रदेश के संपादक आशुतोष शुक्ला ने कहा कि आंचलिक पत्रकारों ने विपरीत परिस्थियों में पत्रकारिता की है। प्रिंट मीडिया के समक्ष टीवी और सोशल मीडिया दोनों से चुनौतियाँ मिल रही है। अब प्रिंट के पत्रकारों को खबर लिखने के तरीकों को बदलना होगा। पत्रकारिता के समक्ष नित नई चुनौतियां आ रही है। कहा कि खबरों की विश्वसनीयता और समाज में हो रहे विघटन को रोकना चुनौती हैं। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता से जुड़े लोगों में आज अहंकार आ गया है जो कहीं से उचित नहीं है।
कार्यशाला में न्यूज़ 24 चैप संपादक राजीव रंजन सिंह ने शिबली अकादमी के मासिक अखबार 'मारिफ़' के निर्बाध 100 सालों की यात्रा की तारीफ करते हुए कहा कि यह जनपद की पत्रकारिता के लिए रोशनी का काम कर रही है। उन्होंने सोशल मीडिया की खबरों की विश्वसनीयता पर भी सवाल उठाएं। कहा की लोकतंत्र की रक्षा पत्रकार कर रहे है अगर उनकी आवाज दब गई तो लोकतंत्र सुरक्षित नहीं रह सकता। भड़ास 4 मीडिया के संस्थापक यशवन्त सिंह ने कहा कि टेलीविजन पत्रकारिता को आज पूरा समाज देख रहा है। बड़े न्यूज़ चैनलों के एजेंडे सत्ता के दबाव में तय होते है। उन्होंने कहा कि समाज के साथ- साथ पत्रकारिता में भी परिवर्तन आये है।तकनीकी ने आम आदमी को पत्रकार बना दिया है। उन्होंने क्षेत्रीय वेब पत्रकारिता ने नए दौर पर भी अपनी बात रखी। लखनऊ से आये दूदर्शन के पत्रकार/एंकर हेमेंद्र सिंह तोमर ने दुर्वासा और दत्तात्रेय ऋषियों को नमन करते हुए जनपद की माटी की खूबी बयां की। उन्होंने कहा कि जनपद की पत्रकारिता का अतीत गौरवशाली रहा है। कार्यक्रम की अध्यक्षता समाजवादी चिंतक विजय नारायण जी ने की।
रविद सिंह के संयोजन में आयोजित गोष्ठी के अंत में बृजभूषण, विजय यादव, रमेश सिंह, रवि सिंह, धर्मेंद्र श्रीवास्तव, आशुतोष श्रीवास्तव, देवव्रत श्रीवास्तव, उपेंद्र मिश्रा, विनोद सिंह, मनीष पांडेय, अजय मिश्र, प्रशांत राय, सौरभ, मो. अख्तर, डा. माधुरी सिंह, हिना देसाई व अनिल मिश्र आदि ने अतिथियों को प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया। वरिष्ठ पत्रकार विजय नारायण ने अध्यक्षता की। आशुतोष द्विवेदी ने संचालन किया।

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रिपोर्ट आज़मगढ़ लाइव

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